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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 198 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश कुसुमजन्म ततो नवपल्लवास्तदनु षट्ट्कोकिलकूजितम् । 9/26 पहले फूल खिले, फिर नई कोपलें फूटीं, फिर भरे गूंजने लगे और तब कोयल की कूक भी सुनाई पड़ने लगी । कुसुमेव न केवलमार्तवं नवमशोकतरोः स्मरदीपनम् । 9/28 उन दिनों वसंतं में फूले हुए अशोक के फूलों को देखकर ही कामोद्दीपन नहीं होता था । सुवदनावदनासवसंभृतस्तदनुवादिगुणः कुसुमोद्गमः । 9 / 30 बकुल के जो वृक्ष सुन्दरी स्त्रियों के मुख की मदिरा के कुल्ले से फूल उठे थे और जिनमें उन्हीं स्त्रियों के समान गुण भी भरे थे । सुरभिगन्धिषु शुश्रुविरे गिरः कुसुमितासु मिता वनराजिषु । 9/34 जिस समय मनोहर सुगन्ध वाली वन की फूली हुई लताओं पर कोयल ने कूक सुनाई । श्रुतिसुख भ्रमरस्वनगीतयः कुसुमकोमल दन्तरुचो बभुः । 9/3 मानो कानों को सुख देने वाली भौंरों की गुंजार ही उनके गीत हों, खिले हुए कमल के फूल ही उनकी हँसी के दाँत हों । युवतयः कुसुमं दधुराहितं तदलके दलकेसरपेशलम् । 9/40 अपने प्रियतमों के हाथों से जूड़ों में खँसे हुए वे सुन्दर पंखड़ी वाले और पराग वाले फूल स्त्रियों के केशों में बड़े सुन्दर लग रहे थे । अलिभिरंजन बिन्दु मनोहरैः कुसुमपंक्तिनिपातिभिरंकितः । 9/41 उस तिलक वृक्ष के फूलों पर मंडराते हुए काजल की बुंदियों के समान सुन्दर और ऐसे जान पड़ते थे, मानो वनस्थलियों का मुख भी चीत दिया गया हो । कुसुमसंभृतया नवमल्लिका स्मितरुचा तरुचारु विलासिनी। 9/42 फूलों की मुस्कान लेकर वृक्षों की सुंदरी नायिका नवमल्लिका लता देखने वालों को पागल बनाए डालती थी । कुसुम केसर रेणुमलिव्रजाः सपवनो पवनोत्थितमन्वयुः । 9/45 उपवन के फूलों का पराग जो वायु ने उड़ाया, तो भौंरो के झुण्ड भी उसके पीछे-पीछे उड़ चले। For Private And Personal Use Only स ललितकुसुमप्रवालशय्यां ज्वलित महौषधि दीपिकासनाथाम् । 9/70 उन्हें सारी रात फूल-पत्तों की सांथर पर, रात को चमकने वाली बूटियों के प्रकाश के सहारे, बिना किसी सेवक के अकेले ही काटनी पड़ी।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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