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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra रघुवंश www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुरोध 1. पुरोध : - [ पूर्व + असि, पुरा आदेश: +धस् ] कुलपुरोहित, पुरोहित । तत्रार्चितो भोजपतेः पुरोधा हुत्वाग्निमाज्यादिभिरग्निकल्पः । 7/20 वहाँ विदर्भ-राज के अग्नि के समान तेजस्वी पुरोहित ने घी आदि सामग्रियों से हवन करके । 2. पुरोहित - [ पूर्व + असि, पुर आदेश: + हित] कुलपुरोहित । : पुरोहित पुरोगास्तं जिष्णुं जत्रैरथर्वभिः । 17/13 197 तब पुरोहित जी को आगे करके ब्राह्मण आए और उन्होंने विजयी राजा को अथर्ववेद के उन मंत्रों को पढ़कर। पुष्प 1. कुसुम :- [ कुष् + उम् ] फूल । कुसुमैर्ग्रथिवामपार्थिवैः स्रजमातोघशिरोनिवेशिताम् । 8/34 उनकी वीणा के सिरे पर स्वर्गीय फूलों से गुँथी हुई माला लटकी हुई थी। भ्रमरैः कुसुमानुसारिभिः परिकीर्णा परिवादिनी मुनेः । 8/35 वह माला तो गिर गई, पर फूलों के साथ लगे हुए भौरे अभी तक नारदजी की वीणा पर मँडरा रहे थे । कुसुमान्यपि गात्रसंगमात्प्रभवन्त्यायुर पोहितं यदि । 8/44 हाय ! जब फूल भी शरीर को छूकर प्राण ले सकते हैं, तब तो दैव जब किसी को मारना चाहेगा तब । कुसुमोत्खचितान्वलीभृतश्चलयन्भृंगरुचस्तवालकान् । 8 /53 फूलों से गुँथीं और भौंरों के समान काली तुम्हारी लटें, जब वायु से हिलती हैं । कुसुमं कृत दोहदस्त्वया यदशोकोऽपमुदीरयष्यति । 8 / 62 जिस अशोक को तुमने अपने चरणों को ठोकर लगाई थी, वह आगे चलकर फूलेगा, तब उसके फलों को मैं । For Private And Personal Use Only अथसमाववृते कुसुमैर्नवैस्तमिव सेवितुमेकनराधिपम् । 9/24 उन एकच्छत्र राजा का अभिनंदन करने के लिए वसंत ऋतु भी नये-नये फूलों की भेंट लेकर, वहाँ आ पहुँची ।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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