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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 186 कालिदास पर्याय कोश हाथी की सँड के समान जंघाओं वाली इन्दुमती ने वह स्वयंवर की माला, सुनन्दा के हाथों रघु के पुत्र अज के गले में पहनवा दी। क्षितिरभूत्फलवत्यजनन्दने शमरतेऽमरते जसि पार्थिवे। 9/4 अज के पुत्र दशरथ देवताओं के समान तेजस्वी थे और उनका मन भी सब प्रकार से शान्त था, राज्य को हाथ में लेते ही उनका देश धन-धान्य से भर गया। 10. पुत्र :-[पुत्++क] बेटा, बच्चा, प्रिय वत्स। अथाभ्यर्च्य विधातारं प्रयतौ पुत्रकाम्यया। 1/35 राजा दिलीप और रानी सुदक्षिणा ने पुत्र की इच्छा से पहले ब्रह्माजी की पूजा की। अविघ्नमस्तु ते स्थेयाः पितेव धुरि पुत्रिणाम्। 1/91 ईश्वर करे तुम्हें कोई बाधा न हो और जिस प्रकार तुम अपने पिता के योग्य पुत्र हो, वैसे ही तुम्हें सुयोग्य पुत्र प्राप्त हो। भक्त्या गुरौ मय्यनुकम्पया च प्रीतास्मिं ते पुत्रं वरं वृणीष्व। 2/63 हे पुत्र! तुमने जो अपने गुरु में भक्ति और मुझ पर दया दिखलाई है, उससे मैं बहुत प्रसन्न हूँ, तुम जो चाहो वर माँगो। दुग्ध्वा पयः पत्रपुटे मदीयं पुत्रोपभुद्भवेति तमादिदेश। 2/65 नंदिनी ने यह प्रतिज्ञा की कि मैं तेरी पुत्र प्राप्त करने की इच्छा पूर्ण करूँगी और यह आदेश दिया, कि तू एक दोने में मेरा दूध दुहकर पी जा। असूत पुत्रं समये शचीसमा त्रिसाधना शक्तिरिवार्थमक्षयम्। 3/13 वैसे ही इन्द्राणी के समान तेजवाली सुदक्षिणा ने भी वह पुत्र उत्पन्न किया, जिस प्रकार राजा अपनी तीन साधनाओं वाली शक्ति से अचल संपत्ति पा लेता है। स वृत्तचूलश्चलका कपक्षकैरमात्यपुत्रैः सवयोभिरन्वितः। 3/28 मुंडन संस्कार हो जाने पर रघु ने चंचल लटों वाले तथा समान आयु वाले मंत्रियों के पुत्रों के साथ। तं श्लाघ्यसंबन्धमसौ विचिन्त्य दारक्रिया योग्यदशं च पुत्रम्। 5/40 रघु ने भी सोचा कि भोज के वंश के साथ अपने कुल का सम्बन्ध करना ठीक होगा और पुत्र अज भी विवाह के योग्य हो गए हैं। इति विरचित वाग्भिर्वन्दिपुत्रैः कुमारः सपदि विगतनिद्रस्तल्प मुज्झांचकार। 5/75 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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