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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश समुद्र की इन दो पत्नियों के संगम में जो स्नान करके पवित्र होते हैं। जलानि या तीर निखातयूपा वहत्ययोध्यामनु राजधानीम्। 13/61 यह नदी अयोध्या से लगी बहती है, इसके तट पर जहाँ-तहाँ यज्ञों के खंभे गड़े हुए हैं। अथाभिषेकं रघुवंश केतोः प्रारब्धमानंद जलैर्जनन्योः। 14/17 जिस राज्याभिषेक का आरंभ माताओं के हर्ष भरे आँसुओं से हुआ था। तस्यापतन्मूर्ध्नि जलानि जिष्णोविंध्यस्य मेघप्रभवाइवापः। जल राम के सिर पर वैसे ही बरस रहा था, जैसे विंध्याचल की चोटी पर बादलों का लाया हुआ जल बरसा करता है। उपांतवानीर गृहाणि दृष्ट्वा शून्यानि दूये सरयूजलानि। 16/21 सरयू के जल के तट पर बनी हुई बेंत की झोपड़ियाँ सूनी पड़ी रहती हैं। आसां जलास्फालन तत्पराणां मुक्ताफलस्पर्धिषु शीकरेषु। 16/62 जल क्रीड़ा में लगी हुई इन रानियों को यह भी नहीं पता कि हमारे हार टूट गए हैं और मोती बिखर गए हैं। अमी जलापूरित सूत्रमार्गा मौनं भजन्ते रशना कलापाः। 16/65 तगड़ी के डोरों में जल भर जाने से इन स्त्रियों के इधर से उधर दौड़ने पर भी ये बज नहीं रहे हैं। यावन्नाश्यायते वेदिरभिषेक जलाप्लुता। 17/37 अभी अभिषेक के जल से भीगी हुई वेदी सूखने भी न पाई थी। 6. तोय :-[तु+विच्, तवे पूत्यें याति-या+क नि० साधुः] पानी। तोयदागम इवोद्ध्यभिद्ययोर्ना मथेयसदृशं विचेष्टितम्। 11/8 मानों वर्षा ऋतु में दोनों उद्ध्य और भिद्य नदियाँ लहराती इठलाती तटों को ढाती चली जा रही हैं। तं धूपाश्यानकेशान्तं तोयनिर्णिक्तपाणयः। 17/22 धूप से सुगन्धित केशवाले राजा को स्वच्छ हाथों से जल दिया। रघोः कुलं कुड्मलपुष्करेण तोयेन चा प्रौढनरेन्द्रमासीत्। 18/37 इस बालक से राजा रघु का कुल वैसे ही शोभा देने लगा जैसे कमल की कली से ताल शोभा देता है। 7. पय :-[पय+असुन्, पा+असुन्, इकारादेश्च] पानी। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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