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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३९५ अकारादिशब्दानुक्रमणिका पृष्ठाङ्काः | अकारादिशब्दाः १९८ |त्रिपदा ४७ त्रिपदादेवी ४७ | त्रिपाद पृष्ठाङ्काः २०८ २०८ २१५ | त्रिपाद ८७, २४५ ५८. १९८ २०२ २३० २२७ २२७ و سه अकारादिशब्दाः त्रिदशावास त्रिदशेज्य त्रिदशेड्य त्रिदशेन्द्रसू त्रिदिव त्रिदिवाधीश त्रिदिवेशवन्दिन त्रिदिवेशान् त्रिदिवेशारीड्य विधा त्रिधामन् विधातुक त्रिनता त्रिनयन त्रिनयन चूडारत्न त्रिनवत त्रिनवति विनवतितम त्रिनेत्र त्रिनेत्रचूडामणि 'त्रिनेत्रदिश त्रिनेत्रर्भ त्रिपञ्चक त्रिपञ्चन् त्रिपञ्चाश त्रिपञ्चाशत् त्रिपञ्चाशत्तम त्रिपताकचक्र त्रिपताकी त्रिपथगा त्रिपद ८४. | त्रिपादनक्षत्र त्रिपिष्टप त्रिपुट | त्रिपुर | त्रिपुरान्तक | त्रिपुरारि २३९ | त्रिपुरोत्सव २३२ | त्रिपुष्करयोग २०५ | त्रिपूर्वा त्रिभ ४१ | त्रिभज्या | त्रिभहीन त्रिभहीनलग्न ८८ | त्रिभाग २२७ | त्रिभोन | त्रिभोनकेन्द्र २३२, २३४ त्रिभोनलग्न त्रिमार्गगा | त्रिमार्गा | त्रिमूर्ति | त्रिमूर्तिपुत्र | त्रिमूर्तिभू | त्रियमली १३१ | त्रियामा १३१ | त्रियामारमण २२९ | त्रियामेश् ८९ | त्रियामेश्वर १०२ १०४ ११८ ११८ १२८ ११८ १०२ ११८ २२९ For Private and Personal Use Only
SR No.020421
Book TitleJyotirvignan Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurkant Jha
PublisherChaukhambha Krishnadas Academy
Publication Year2009
Total Pages628
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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