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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गणनादिसर्गः वियोज्याव्ययवाचकशब्दाः'-अपनीय, अपास्य, परिशोध्य, शोधयित्वा, वियोज्य, विशोध्य, व्यवकल्य, संशोध्य, चैतेऽव्ययाः। गुणयित्वाऽव्ययवाचकशब्दा:२-अभिहत्य, गुणयित्वा, गुणित्वा, ताडयित्वा, निहत्य, प्रणिहत्य, विनिहत्य, संहत्य, सङ्गणय्य, सन्ताड्य, सम्पिण्ड्य, हत्वा, चैतेऽव्ययाः। हृत्वाऽव्ययवाचकशब्दाः- छित्त्वा, परिहत्य, भक्त्वा, भक्त्वा, भाजयित्वा, विभज्य, विभाज्य, विहत्य, संविभज्य, संविभाज्य, संविहत्य, हत्वा, चैतेऽव्ययाः। त्यक्त्वाऽव्ययवाचकशब्दा:'-अपनीय, अपहाय, त्यक्त्वा, परित्यज्य, परिहत्य, प्रोज्झ्य, वर्जयित्वा, विवर्य, विहाय, सन्त्यज्य, हित्वा, चैतेऽव्ययाः। सम्प्राप्याऽव्ययवाचकशब्दाः५-अधिगम्य, प्रापय्य, प्राप्य, सम्प्राप्य, संलभ्य, चैतेऽव्ययाः। कृत्वाऽव्ययवाचकशब्दाः-कारयित्वा, कृत्वा, विधाय, संविधाय। प्राप्तिप०-आय: (पु०), लाभ: (पुं०), आप्ति: (स्त्री०), उपलब्धि: (स्त्री०), प्राप्ति: (स्त्री०), लब्धि: (स्त्रि०), वित्ति: (स्त्रि०), फलम् (न०)। व्ययप०-अर्थवर्तनम् (न०), अर्थात्ययः, अर्थापगमः, अर्थापचयः, वित्तापगमः, वित्तात्ययः, वित्तापचयः, व्यय-श्चैते पुंल्लिङ्गाः। धनप०-अक्षयम्, अनृणम्, धनम्, स्वम्। ऋणप०-अधनम्, अस्वम् , ऋणम्, क्षयम्। धनाधनपर्याया:-धनक्षयम्, धनर्णम्, धनाधनम्, स्वर्णम्। योगप०-ऋणर्णयुतिः, क्षयक्षययुतिः, धनधनयुतिः, धनान्तरम्, स्वर्णान्तरम्, स्वस्वयुतिः। तदुक्तं बीजगणितेयोगे युति: स्यात्क्षययोः स्वयोर्वा धनर्णयोरन्तरमेव योगः। इति। खण्डगुणनप०-खण्डगुणनम् (न०), गुणनविशेषः। अत्राहभास्कर:गुण्ययस्त्वधोऽधो गुणखण्डतुल्यस्तैः खण्डकै: संगुणितो युतो वा।' इति लीलावत्याम्। अपवर्तकप० -अपवर्तकः (त्रि०)। अपवर्तनप०-अपवर्तनम् (न०)। अपवर्त्यनप०१०-अपवर्त्यः (त्रि०)। १. घटा कर, २. गुन कर ३. भाग देकर, ४. छोड़कर ५. पाकर, ६. मिलना, लाभ, आमदनी, ७. खरच, उठाव। ८. वह संख्या जिससे अन्य दो या अधिक संख्याओं को भाग देने पर शेष कुछ न रहे ९. बड़ी संख्याओं को संक्षेप करना, लाघव, उलटफेर, पलटावा १०. जिस संख्या को दूसरी किसी संख्या से भाग देने पर कुछ न बचे वह उस संख्या का 'अपवर्त्य' कहलाता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020421
Book TitleJyotirvignan Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurkant Jha
PublisherChaukhambha Krishnadas Academy
Publication Year2009
Total Pages628
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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