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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra स्तुति स्तोत्र स्तवनादि भक्ति साहित्य ऋषभदेव भक्ति काव्य सं. 19 11 " 6 "1 11 19 "} "1 "1 "1 " 93 " 11 11 11 "" श्रौपदेशिक भक्ति कथायें भक्ति काव्य सं.मा. सं. "" 27 " "" 33 सं.मा. "1 सं. 7 सं मा. सं 4. मा. हि. मा. 17 23 15 8 8 9 30 8 10 15 10 6 43 22 -- 5,4,3, 24 से 31 x 11 से 15 9,66 11 www.kobatirth.org 9, 5, 2 24 से 27x12 से 13 10 8A 25 × 12 × 12 × 26 संपूर्ण 44 श्लोक 26 x 12 x 23 x 55 24 x 11 x 13 x 49 26 × 11 × 17 x 54 25 × 12 × 13 × 31 25 × 11 × 15 × 48 27 x 12 x 15 x 60 स 25 × 12 × 17 × 35 संपूर्ण 26 x 13 x 5 x 26 4, 5, 6, 15 से 29 x 11 से 14 8,3,9 13 23 x 11 × 4 x 40 26 × 12 × 18 × 53 26 × 12 × 13 × 48 27 × 12 × 5 x 43 4, 4,214 × 9 व 27 x 12 (2) 26 × 11 × 13 × 39 26 × 11 × 19 × 47 24 × 12 × 12 × 34 22 x 17 x विभिन्न 13 x 12 x 10 x 10 गुटका गुटका け 11 11 अपूर्ण ( 24 श्लोक तक ) प्रपूर्ण (41 श्लोक तक ) कथासह 17 44 श्लोक कथासह 44 श्लोक 44 श्लोक 9 सभी संपूर्ण 19at 19वीं संपूर्ण 48 श्लोक 19वीं 44 श्लोक 19वीं अपूर्ण (10वें श्लो. तक ही) 19वीं संपूर्ण 44 श्लोक 28 20वीं संपूर्ण 44 श्लोक 20वीं प्रथम अपूर्ण शेष पूर्ण 19/20वीं अंतिम प्रति अपूर्ण शेषपूर्ण 11 "1 कथासह For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10 1884 कुचामरण दौलत सुंदर 1887 19वीं 19वीं 19वीं 19वीं 4 काव्य, अंतिम में अन्य भी 19/20वीं संपूर्ण ग्रं. 400 19वीं संपूर्ण ग्रं. 758 संपूर्ण 28 कथायें 49 छंद 27 सर्वये 19वीं 19/20वीं 1714 1910 19वीं 1845 [ 253 11 पहिले दो पन्न भी कम हैं प्रथम में श्रावश्यक गाथा व द्वितीय में कल्याण मंदिर है । प्रतिमप्रति में कल्यारण मंदिर नवतत्व व 24 दंडक हैं। अंतिम चन्द्रसूरि की सही प्रतिलिपि 1652 की कृति
SR No.020414
Book TitleJodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSeva Mandir Ravti
PublisherSeva Mandir Ravti
Publication Year1988
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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