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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४१८ भवितुमे सात उदये सुभावोके, सो गणपतिभलारेलोल, भवितुमें रविमित्र इंद्रलाभके, उग्रदत्तसूरीसरारे लोल, १२, भवितुमे आठमे उदये अवधारोके, सत्त्यासीकारे लोक, भवि तुमे श्रीप्रभ श्रीकुणालके, गंमीरदत्तथयारेलाल, ॥ १३ ॥ भवितुमे मणिरथ श्रीविश्वभूतिके, वसुपाल लोहपतिरे लोल, भवितुमे नवमे उदये एम जाणोके, पंचाणुं मुनिपतिरेलोल ॥ १४ ॥ भवितुमेदसमें उदये एम पावोके, सन्यासी गणधरुरेलोल, भवितुमे सोममित्र नागिलके, फल्गुमित्र मुनीसरुरेलोल ॥ १५ ॥ भवितुमे इम्यारमे उदयनवाणीके, चित्तधरजो सदारेलोल, भवितुमे धनसंग भरतसूरींदके, सुरदत्तछोतेर भलारेलोल, ॥ १६ ॥ भवितुमेबारमे उदये हितकारीके, अय्योतेर गणपति रेलोल, भवितुमे श्रीसत मित्रसूरीसके, भवान गणधर थयारेलाल || १७ || भवितुमे प्रमोदगणी पसायके, उद्योतकखोरे लोल, भवितुमे दानदेह दयापालिके, सोभाग्यपणं लह्योरेलोल ॥ १८ ॥ इतिश्रीप्रथमढाले युगप्रधान ९०६ ॥ अथ ढाल बीजी || श्रीधम्मिल्लसूरिथया श्रीकारजो, तेरमे उदये चोरां परिवारजो, सोमदेवसूरी कृष्णरथका भलाजो, ॥ १९ ॥ चवदमो उदय सुणिजो, हवें भविलोकजो, एकसो आठ थया सूरिना थोकजो, विजयानंद जुगप्रधान सूरीश्वराजो ॥ २० ॥ पनरमाउदयनी वातछे मोहोटीजो, सुमंगल उदये सूरीरयणायरुजो, एकसो तीन गणधरुजो ||२१|| सोलमो उदय धारोतमे भविप्राणीजो, एकसो सात युगप्रधाननी खाणी जो, धर्मदेव श्रीदेवसूरीजो ॥ २२ ॥ सतरमो उदय छे ते जयकारजो, एकसो चार थयाछेते सूरिराय जो, जयदेवसूरि, देवधन For Private And Personal Use Only
SR No.020407
Book TitleJinduttasuri Charitram Uttararddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttsuri Gyanbhandar
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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