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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५९६ संपूर्ण पुरुष, स्त्रीयोंकी कला (तथा) राज्यनीति ! धर्मनीति आदिasों प्रवर्त्तन करनेवाले, प्रजापति, महादेव, ब्रह्मादि अनेक नामधारक, प्रथम ईश्वर, इसकाल में इस पृथिवीपर येही हवे हैं ( इसीतरे ) सातकुल कर हूवे, . प्रश्नः - श्री ऋषभदेव स्वामी कहांसे आयके, मरुदेवी माता की कूखमें उत्पन्न भए (और) कोण प्रकारसे देवताओंके पूजनीक, संपूर्ण कलाकों (तथा) धर्मनीतिकों प्रवर्त्तन करनेवाले प्रथम ईश्वर भए || उत्तर - ५२ बोलगर्भित श्रीऋषभदेव स्वामी के अधिकारसें जाणना, वह श्री ऋषभदेव स्वामीका अधिकार इसी ग्रन्थके पूर्वार्ध में दीया है, सो वहांसे देखना, नमोस्तु भगवते श्रीपार्श्वनाथाय समस्तविमव्यूहखंडनाय नमो नमः श्रीस्तंभणपार्श्वनाथाय नमोस्तु भगवते श्रमणवर्द्धमान महावीराय कर्महस्तिविदारणे सिंघाय, नमोस्तु त्रिपद्ये द्वादशांगबीजरूपायै नमोस्तु श्रीसुधर्मादिसर्व अनुयोगधरेभ्यः, नमोस्तु श्रुताय नमोस्तु श्रुतदैवतायै नमोस्तु संघभट्टारकाय अपडिवाई गुणधारकाय, श्रमण संघाय नमः नमोस्तु सम्यक् दर्शनादिचतुष्केभ्यः, नमोस्तु विनयादि सर्वसद्गुणेभ्यः इति श्रीखरतर सबिरुदालंकृते कोटिकाख्ये गच्छे श्रीजिनकीर्त्तिरत्नसूरिशाखायां क्रमात् तत्परंपरायां वरीवर्त्तति श्रीमजिनकृपाचन्द्रसूरयस्तेषामंतेवासी ज्येष्ठः समभवत्, विद्वच्छिरोमणिः श्रीमदानंदमुनिः तत् संगृहीते तस्याऽनुजेन उपाध्यायश्रीजय सागरेण संस्का ते श्रीजंगमयुगप्रधान श्री मज्जिनदत्तसूरीश्वरचरिते श्रीमजिनचन्द्रसूलश्वरादितत्संतान चरित्रवर्णनो नाम नवमः सर्गः समाप्तः ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020407
Book TitleJinduttasuri Charitram Uttararddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttsuri Gyanbhandar
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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