SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 143
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५०३ अथ पुष्पपूजा || दूहा - केत किचंपकफूलथी, पूजे जे गुरुपाय, तसुजससूरउदैहुवे, अपजस तिमिर नसाय ॥ १ ॥ ढाल चंपक के कि मरुवो दमन सेवंती फूल, जाई जुई मोगरो मालती तेम उडूल, कमल गुलाब चंबेली बेली परमल पूर, गुरुचरणेंजे ढोवे होवे जसज्यं सूर || २ || ॐही श्री श्रीजिनकुशलमूरि गुरुचरण कमलेभ्यः पुष्पं निर्वपामिते स्वाहा इति पुष्पपूजा ॥ अथ अक्षतपूजा ॥ दूहा - उज्जलज्यों शशि अकविण, खंडित नहीं विशाल, अक्षत गुरु चरणें ठवे, तसु घर मंगलमाल ॥ १ ॥ ढाल - सरल सुगंधित तंदुल उज्जल जल उत्पन्न, ज्युंवर मोती आभा डुंती उज्वलवन, जलधोई ससमोई सोई अक्षतनव्य, स्वस्तिक कुशल वधावे पावे मंगल भव्य || २ || ॐ ही श्री श्रीजिनकुशलसूरिगुरुचरणकमलेभ्यः अक्षतं निर्वपामिते स्वाहा ।। इति अक्षतपूजा || ७ 今 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir う つう अथ दीपकपूजा ।। दूहा- कंचनमणिमयरत्ननी, दीवी करघृतपूर, वाती मौली सूत घर, करो प्रदीपसुनूर || १ || ढाल - कंचनघटित जटित मति नानाविधनवरल, दीवी अतिकारीगरकीवी अधिके यत्न, घृतपूरी ससनूरी मौली वाती जोय, दीपकरे गुरु आगे ज्योतउद्योती होय ॥ २ ॥ ॐहीश्री श्रीजिनकुशलसूरिगुरुचरणकमलेभ्यः दीपं निर्वपामिते स्वाहाः ॥ इतिदीपकपूजा । अथ धूपपूजा लिख्यते ॥ बावन्नाचंदन अगर, सेल्लारस घनसार, धूपे जे गुरु धूपथी, तसघर रिधविसतार || १|| ढाल - अगर चंदन सेल्लारस छाडछडीलो मेल, कपूर काचरी वलि घनसारे मृगमदभेल, धूप अडंग करी गुरु For Private And Personal Use Only
SR No.020407
Book TitleJinduttasuri Charitram Uttararddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttsuri Gyanbhandar
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy