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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वासुपूज्यस्वामीका तीनमजलका देरासरमे ३ बिंब श्रीशीतलनाथस्वामी वगैरे ऊपरले मजलमें प्रतिष्ठितकरवाकर विराजमान वाई कमलाने किये, वादशांतीस्नातकराइ, वाद संघने मिलकर चोमासेकेलिये आग्रह कियाथा १ दीक्षासाधुकी वाजीपुरमेहुइ इसलिये ७४ कीसालका चोमासा बुहारीमें किया, २ दीक्षासाधुकी चोमासेवाद हुइ वाद फरसनासाथ कडसलीया सातम अष्टगाव नवसारी जलालपुर फरसते हुवे, सुरत पधारे, और सुरतमें बहुतसे धार्मिककारणोंसे ७५-७६ साल के दोय (२) चोमासे किये, ५ साधु २ साधवीकीदीक्षाभई जिसमे जवेरि पानाभाइ भगुभाइ वोथरागोत्रीयसुश्रावकने आसरे ३६००० रुपिया खरचके प्राचीन शीतलवाडीउपासरेकाजीर्णोद्धारकराया श्रीजिनदत्तसूरि ज्ञानमंदिर बंधाया और प्रेमचंदभाइ केसरिभाइ धमाभाइ मंछुभाइ वगेरे ने ऊजमणा किया, भूरियाभाइने यात्रियोके उतरणेकी १ धर्मशाला कराइ वाद विहार करते हूवे, कतारगाम कठोर क्रमसें जगडीया तीर्थमें श्रीरिषभदेवस्वामीके जन्मोत्सवकेदिनयात्राकरी सुकलतीर्थ जीनोर पाछापुरा पालेज मियागांव वगेरा स्थलोंकों फरसते हुवे, क्रमसें विहार करते हुवे, आषाढ वदि १० भृगुरेवतीके रोज शहर बडोदामें पधारे, और ७७ सालका चोमासा शहरबडोदामें किया, भगवतीवांची चोमासे वाद विहार करते हुवे छाणी वासद् आणंद नलीयाद मातरमें सच्चादेव खेडावगेरामें जिनदर्शनकरतेहूवे श्रीराजनगरपधारे, वाद नरोडा वगेरा होतेहूवे, कपडवंजपधारे, वाद गोधरा देवद क्रमसे रंभापुर झाबुआ राणापुर पिटलाद कर्मदीहोतेहूवे मालवादेशमें शहररतलाम जेठमास के व०४ कुं पधारे, वहां ७८ सालका चोमास किया जिसमें भवगतीसूत्र वखाणमें वांचा उपधानतप साधु ३ साधवी जि. द. २ For Private And Personal Use Only
SR No.020406
Book TitleJinduttasuri Charitram Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganmalji Seth
PublisherChhaganmalji Seth
Publication Year1925
Total Pages431
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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