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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ पूजा पुन्य उदय पुन्य उदय उपना जिण नाह। माता तब स्यणी. समैं देखि सुपन हरखंत जागिय । सुपन कही निज कंत में सुपन अ रथ सांजलो सोनागिय । त्रिभुवन तिलक म हा गणी होस्य पत्र निधान इंद्धा दिक ज सु पसननी करस्य सिद्ध विधान । ॥ बाल गंदा उलानी॥ 3 ..सो हम पति आसन कंपियो। देई अव | मन आनंदियो। मुफ आतम निर्मल कर ण काज । जब जल तारण प्रगटो जिहाज। नव अजवी पारंग सस्य वाह केवल नाणा इय गुण जाहं । शिव साध न गुण अंकूर जह । कार उलटो आषाढ मेह । हरखें विकसैं तब रोमराय । बलया दिक मां निज तन नमाय। सिंहासन थीऊठो सुरिंद। प्रणमं जिण आणंद कंद । सगअ पयपमहावि तत्य । करि अंजलि प्रणमिय मत्य सत्य । मुख नाखें ए खिण आज सार तियलोय पर दौठो उदार ।रे रेनिसुणों सुरलोय देव। विष यो नल तापित तुम समेव । तसु शांति क - - - For Private And Personal Use Only
SR No.020404
Book TitleJin Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamchandra Gani
PublisherRushi Nankchand
Publication Year1933
Total Pages212
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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