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________________ Acharya Shn.kailastacasurievanmandir SM Maharan Adana Kendra स्तवन कल्या- श्रयासाजनपति श्रेयांसजिनपति केवलीवर अमावास्या दिनथयां ॥ १५॥ ढालपूर्वली-महाशुदि तीथे रे बीजे णकर्नु IPअभिनंदन जण्या, वली वासुपूज्य रे केवल नाणी तिम गण्यां; तिथि त्रीजेरे विमल धर्म जन्मीआ. दिन चोथेरे विमलनाथ संयम लीया ॥ १६ ॥ त्रूटक-वली आठमे अजित जनम्या, नवमि दीक्षा अति भली, दीक्षा संवर नंद बारसे धर्म तेरसे तिमवली; सुणो महा वदि छठे जिणेसर सातमा नाणी वली, सिद्ध सातमे सातमा जिन आठमा जिन केवली ॥ १७ ॥ ढाल पूर्वली-तीर्थकर रे |नवमि नवमा अवतां अग्यारसेरे आदिदेव केवल वर्या; जाया बारसेरे श्रेयांस मनि सव्रत केवली. तेरस तीथेरे श्रेयांस दीक्षां निर्मली ॥ १८॥ त्रुटक-निर्मली चउदशे बारमा जिन जन्म जगजन जय कयों, वासुपूज्य नंदन देव दिक्षा अमावास्या वासरो; हवे फागण शुदे वखाणुं बीजे अर अवकतार ए, मल्ली जिनवर च्यवन चोथे दीओ भविक भव पार ए ॥ १९ ॥ ढालपूर्वली-श्री संभवरे आठम च्यवन दिवस कह्यो, मल्ली सीद्धारे बारसे मुनि सुव्रत बतलह्यो; फागण वदिरे चोथे जिनपति पासनां, कल्याणकरे च्यवन नाण बिहुं आसनां ॥२०॥ त्रूटक-आसना पंचमी चंद्रप्रभजिन For Pavle And Personal use only
SR No.020395
Book TitleJain Prachin Purvacharyo Virachit Stavan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotichand Rupchand Zaveri
PublisherMotichand Rupchand Zaveri
Publication Year
Total Pages411
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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