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________________ ShiMahayeJainrachanaKendra www.kobateh.org. Acham Ka B andit CARRORSCREET दिक्षानू मान, चोराशी लाख पूरव प्रमाण; आउखु पूलं जाणि ॥ ५२॥ चोविशमें भवें शुक्र सुरवर, सुख भोगवीयां सत्तर सागर; तिहांथी चवीओ अमर ॥ ५३॥ ___ ढाल-॥४॥ राग मल्हारा ॥ लालनी ॥ ए देशी ॥ आभरतें छत्रिका पुरी, जितशत्रु विजया नारि; मेरे लाल ॥ पचवीसमें भवे उपनो, नंदन नामें उदार; मेरे लाल ॥ ५४॥ तीर्थंकर पद बांधीउं, ॥ए आंकणी ॥ लेइ दीक्षा सुविचार, मेरे लाल; वीश स्थानक तप आदयों, इओ तिहां जयजय कार, मेरे लाल; तीर्थकर०॥ ५५॥ राज्य त्यजी दीक्षा लीएं, पोटिला चारज पास, मेरेलाल; मास खमण पारj करे, अभिग्रह वंत उल्लास, मेरेलाल; तीर्थंकर० ॥ ५६ ॥ लाख वरस इम तप कयों, आलस नहीं लगार, मेरे लाल ॥ परिघल धर्म पोते कों, निकाचित जिनपद सार, मेरे लाल०॥ ५७ ॥ तीर्थंकर०॥ मास खमण संख्या कहुं, लाख इग्यार एंसी सहस, मेरे लाल. छसें पीसतालीश उपरें, पंचदिवसें अधिक कहेत, मेरे लाल. तीर्थंकर०॥ ५८॥ पचवीश लाख पूर्व आउखु, मास संलेखना कीध, मेरे लाल०॥ खमी खमावीते चव्यां, दशमें स्वर्ग फल लीध, शां.१० For Pale And Personal use only
SR No.020395
Book TitleJain Prachin Purvacharyo Virachit Stavan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotichand Rupchand Zaveri
PublisherMotichand Rupchand Zaveri
Publication Year
Total Pages411
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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