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________________ [6] जैन लिंग निर्णय॥ / अध्येन में गोशाले के श्रावग का अधिकार आया तुम्हारे मिथ्यात्व को छुड़ाने के वास्ते उस पाठ को लिखाया। तएणसेसदालस्स आजीवउवासाए अन्नयाकंयाई पुष्वा वरत्तकालसमयंसि जेणेवअसोगबडिया तेणेवउवागछइ 2 त्ता गोसालस्समंखलिपुत्तस्स णंतियधम्मपन्नति उवसंपज्जित्ता. तएणतस्सलद्दालस्सयाजीविएकदेवे अंतियंपाउभ्भवित्ता तए.. णंसदेवेअतिलखपडिवणे संखंखिणयाई जावपरिहिए सदाल पुत्तं आजिविउवासएय एवंवयासिएहिणंदेवाणुप्पिया कल्लं इहमहामहाणे उपन्ननाणदंसणधरे तीयपडुणमणागयजाणए अरहाजिणे केवली सव्वन्नुसव्विदरसीण तिलोकहितमहिएपु. इएसदेवमणुयासुरस्सलोगस्स अच्चिणिज्जवंदणिज्जेपुयणिज्जे सक्कारणीज्जे समाणणिज्जे कक्लाणंमंगलदेवयंचइयं जावप ज्जुवासणिज्जे तच्चकम्मसंपयासंपत्ते तन्नतमवंदजाहि जाव पज्जवासज्जाहिं पाडिहारिएणं पीढपल गसिज्जासंरयणं उव निमज्जाहिंदोच्चंपि एवंवयासी जामेवदिसंपाउभूया तामे बंदिसंपडिगया तेणतस्मसदालपुत्तस्स आजिवउवासगस्स तेणे देवणं एवंवुत्तस्स इमेयारुवे अझथ्थिउ 4 समुपन्ने एवंखलु ममधमारिए धम्मोवएसएगोसालोमखलीपुत्तो सेणंमहामाहणे उपन्ननाणसणधरे जावतच्चकम्मसंपयासंपउत्ते सेणंकवलं इहंहब्वमागछसितएणतंअहंवंदिस्सामी जावपज्जुवासिस्सानी पाडिहारएणं जावउवनिमंतिस्सामी तएणंकल्लजावजलते समणेभगवं. जावसमोसरीए // अर्थः-तिसके बाद शादल पत्र आजीविका उपासक एक दिन के समय अर्ध रात्रि के विषे जिस जगह अशोक वन था उस जगह आया वह शार्दुल पुत्र गोशाला माखली पुत्र के पासमें धर्म अगिकार किया था सो उस शाल पुत्र आजीवक उपासक के पास एक देवता आया वो देवता आकाश में अधर रहा हुआ घुघरे पैरया हुआ सहित शार्दुल पुत्र आविक उपासक से कहने लगा - Lalaimarana... maan
SR No.020393
Book TitleJain Ling Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages78
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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