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________________ कुमताच्छेदन भास्कर // - बांधना और मुखकी भाफ लगना उनदोनोंका इकट्ठा होना इन तीनों जोनी के भीतर अथवा चौथी कोई और जोनी है जो वीतराग की कही हुई तीनों जोनी है तो तुम्हारे को तो पंवेन्द्री मनुष्य की हिंसा लगती है इसलिये इस मुख बांधने को तजो जिन आज्ञा को भजो लौकिक विरुधसे भी कुछ लजो क्योंकि मुख बांधना लोगों में अच्छा नहीं लगता क्योंकि बिहावना अच्छा नहीं लगता है इन बातों को सुनके मुखबांधने वाला चौंक कर बोला कि तुम मुखबांधना तोते की तरह टेंटें करते हो मुखतो अच्छी चीजका बंधता हे कछखोटी चीज का नहीं उत्तर- भोदेवा. नुप्रिय! इस्से मालूम होता है कि तेरेको विवेक शून्य बुद्धि विचक्षण प्रत्यक्ष अनुभव विरुद्ध अज्ञान भराहुआ बचन बोलता है क्योंकि देखो हम तेरेको लौकिक प्रत्यक्ष दिखाते हैं सो आंख मीचकर बुद्धिका विचार कर बाह्य नेत्रोंसे देख कि जो अच्छे अच्छे पकवान मिठाई आदि नानाप्रकार की वस्तु हलवाई लोग बाजार लगाकर थालों में जमाकर रखते हैं और जो निरस चीज है उसको दबा देते हैं इसरीतिस सराफ लोग भी रुपे पैसे सोना चांदी जवाहिरात आदि सर्व चीज उघाडी दुकान पर लगाते हैं और उन अच्छी अच्छी चीजों को देखकर ग्राहक लोग उनके पास जाते हैं इसी गति से बजाज भी अच्छे 2 कपडे चमकदार भडकदार बकचो में से खोलकर वायरा लगाते हैं इसी रीतिसे परचनी बिसायती दुकानदार आदि सर्ब कारवाले अच्छी 2 चीज खोलकर रखते हैं और जो निरस अथवा खोटी चीजों को सब कोई छिपाते हैं बांधते हैं सोही दिखाते हैं किसके मगज में कीडे आदिक पडे र और पीनस का रोग हो तो वह मनुष्य अपनी नाक को ढांके हुए रहता है क्योंके उसकी नासिका से दुर्गंध आती है इसलिये यह नासिका बांधता है अथवा किसीका होठ आदिक फल जावे अथवा दांतों में कीडा पडे मसूडे फुले अथवा होठ सुफेद होजाय | घाव होजाय वा कटजाय अर्थात लोगों को देखने से बुरा लगे वो
SR No.020393
Book TitleJain Ling Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages78
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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