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________________ कुमताच्छेदन भास्कर // [9] कौन बद्धिमान अंगीकार करेगा सोतो नहीं किन्तु तुम सरीका | होगा सोई मानेगा अपनी पक्षपात को तानेगा सच्च झंठ को न छानेगा इसलिये जो तुमको आत्मा का अर्थ करना है तो गणधरों के वाक्य को मानो मत पक्षकोमत तानो गरूके ज्ञान को पहिचानो छोडो मत पक्ष जिससे होय तुम्हारो कल्यानो खैर अब देखो सूत्र आचारंग श्रुतस्कंद 1 अध्येन 8 उदेशा 7 सोपाठ दिखाते हैं: जेभीखू अचेले परिवसीए तस्तणं भिखस्त एयंभवति चाएमिश्रहंतणफासं अहियासित्तए सीयंफासं अहियासीत्तए तेउफासंअहियासीत्तएएवं समग्गफासं अहियासीत्तए एगंतरे भनेरे विरुवरुवेफासेपहियासीत्तए हिरी पडीछादणंच अहंगो संघाएमि भहियासीत्तए एवंसेकपइ कडिबंधणं धारित्तए / ___अर्थ-जो कोई साधू प्रतिमा प्रत्पन्न अवग्रह विशेष अचेल कहता वस्त्र रहित तिस साधू के ऐसा आभप्राय होय सो कहते हैं कि त्रणसुपर्स से जो उपजे दुःख तिसके सहने को समर्थ क्योंकि जो मोटे कार्य करने के ताई सावधान हुए हैं उन पुरुषों को तरण सुपर्स का परीसा किंचित्त मात्र भी ना प्रतिभासे तथा नाम तैसेही सीत अर्थात् सियाले का परीक्षा तथा नाम तैसेही ग्रीष्म काल का परीसा तथा नाम तैसेही चौमासे में इन्स मन्स आदिक का परीसा सहने में और भी अनुकूल प्रतिकूल उप्सर्ग आदि नाना प्रकार के सहने को मैं समर्थ हूं परंतु लज्जा करके जो गह्यप्रदेश है उसके दिखाने को नहीं समर्थ अर्थात् गुह्यप्रदेश उघाडा रखने में मेरेको लज्जा होती है इस रीतिका अद्धवसाय जिस साधू के होय उस साधू के वास्ते काट बंधन अर्थात् चोल पट्टा एक हाथ चार अंगल प्रमाण चोड़ा और कटि प्रमाण लंबा एक कले अर्थात धारण करे दूसरा नहीं रक्खे इस गतिसे इस पाठ में चोल पहा अर्थात् कटि बंधन कहा परन्तु मुख वस्त्र कासे मुख बांधना तो कहा नहीं क्यो कि बांधने की चीज बांधने -
SR No.020393
Book TitleJain Ling Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages78
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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