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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (७) रंगें रातां बेहु मिले, गोराणी ने बात्र ॥एणे अवसरें जरतारनी, हुश् श्राववा वात ॥ १३ ॥ नारी कहे नीशालीया, आपण बेहनो रंग॥आव्यो पापी मोक रो, रंगमां करशे नंग ॥ १४॥ सर्व गाथा ॥२॥ ॥ चोपानी देशी॥ ॥रंग मांहे करशे ते जंग, हुं नवि मूकू ताहारो संग ॥ जो तुं कहेण अमारं करे, तो सहु काम तु मारं सरे ॥१॥बे मृतक तुमें लावो खरा, घर बाली जाशं बे परां ॥ सुणी वचन जग्यो गोविंद, बे मृतक ते लाव्यो रंद ॥२॥ घरमांथी धन लीधुं सहु, प. श्रावास सलगाड्युं बहु॥जणां दोय गयां नीकली, लोक कहे मू ए बली ॥३॥ पश्चात्ताप करे बहु परें, पडे बांजणो आव्यो घरे ॥ बली मुझ दीठी जब नार, रुदन करे सबढुं तेणे गर ॥ ४ ॥ पो गयो मृतकनें पास, हाथ फेरवे मन उदास ॥ कूटे रुदन करे कलकले, बापडी नारी निशालीयो बले ॥५॥ हवे को तेहवो करूं उपाय, जिम ए बेहुने सजति थाय ॥ गयो हाड लेश गंगा जणी, तिहां नारी दीगे निज धणी॥६॥ निशालीयो जर लाग्यो पाय, तुंतो खामी मात पिताय ॥ था तुम For Private and Personal Use Only
SR No.020379
Book TitleHitshikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdas Shravak
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages223
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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