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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १३२) गति पामे सती ॥१॥ रोग निवारे मुनिवर तणो, तेहनो महिमा गांख्यो घणो ॥ जीवानंद परें तुं जोय, गोत्र तीर्थकर बांधे सोय ॥२॥ वसति दान नुं पुण्य विशाल, तस्यो अवंती जे सुकुमाल ॥ वंक चूल जयंती सार, कोश्या पामी जवनो पार ॥३॥ इस्यां दान नावें करी देह, आ नव परजव सुखीया तेह ॥ जावें शील धरे सुकमाल, होये नीर टली अग्नि जाल ॥४॥ शीलं नारद सिका सह।, जं बनी कीर्ति गहगही ॥ थूलिना मुनि जीते काम, चौराशी चोवीशी नाम ॥५॥ शेव सुदर्शन सूधो कह्यो, शिवकुमार नर शीलें रह्यो ॥ एणी परें पाले जावे शील, वंकचूल परें पामे लील ॥ ६ ॥ नावें तप त पतां सुख थाय, पांव परमुख मुक्तं जाय ॥ काकं दी नगरीनो धणी, तप तपतो निश्चल एकमनी ॥ ॥ सर्वार्थ सिकि पाम्यो सार, वली सुख पाम्यो सनत कुमार ॥ नंदीषेण तप लब्धि करी, सोवन ष्टि करे घर खरी॥७॥ अर्जुनमाली ने दृढप्रहार, त करी ते पाम्या पार ॥ नाव सहित जे तप श्रा दरे, मुक्ति तणे मारग संचरे ॥ ए ॥ नावे जावना चोथी जेह, केवलज्ञान लहे नर तेह ॥ जरत हु For Private and Personal Use Only
SR No.020379
Book TitleHitshikshano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdas Shravak
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages223
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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