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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८५ विचारालय विचारालय पुं० [सं.] न्यायाधीशनी कचेरी; अदालत विचिकित्सा स्त्री० [सं.] शक; संदेह विचित्र वि० [सं.] अद्भुत; आश्चर्य कारक (२) सुंदर (३) चित्रविचित्र विच्छिन्न वि० [सं.] छेदाईने छूटुं पडेलु (२) छूटुं; भिन्न; अलग; जुदुं विच्छेद,०न पुं० [सं.] कापq के अलग करवू के थर्बु ते विछलना अ० क्रि० चळवू; 'फिसलना' विछोह पुं० वियोग; विच्छेद (वि०-ही) विजन वि० [सं.] एकांत; निर्जन (२) पुं० वींजणो विजना पुं० (प.) 'विजन'; वीजणो विजय स्त्री० [सं.] फतेह; जीत विजया स्त्री० भांग (२) विजयादशमी विजयी वि० [सं.] जीतनार विजात वि० [सं.] कुजात; वर्णसंकर; जारज जातिनुं विजाति, -तीय वि० [सं.] जुदी-भिन्न विजारत स्त्री० [अ.] जुओ 'वजारत' विजिगीषा स्त्री० [सं]. जीतनी इच्छा. -षु वि० ते इच्छावाळं विजिट स्त्री० [इं.] मुलाकात विजित वि० [सं.] जितायेलं विजेता पुं० [सं.] जीतनार विजोग पुं० (प.) वियोग विजोर वि० कमजोर (२) पुं० बिजोएं विज्ज स्त्री० वीजळी विज्ञप्ति स्त्री० [सं.] विनंती (२) जाहेरात (३) नोटिस; सूचना विज्ञान पुं० [सं.] कोई विषय- खास ज्ञान । के शास्त्र. -नी पुं० तेनो जाणकार विज्ञापन पुं० [सं.] जुओ 'विज्ञप्ति' विदारण विट पुं० [सं.] लंपट (२) लुच्चो; धूर्त विटप पुं० [सं.] झाड के तेनी शाखा विडंबना स्त्री० [सं.] मश्करी (२) नकल; अनुकरण करवू (२) भगाडवू विडारना सक्रि० वेरणछेरण,नष्ट-भ्रष्ट विडाल पं.सं.] बिलाडी. -ली स्त्री० वितंडा स्त्री० [सं.] नकामी-खोटी दलील के वाद वितत वि० [सं.] फेलायेलु; विस्तृत वितथ,-थ्य वि० [सं.] असत्य; जूळू;मिथ्या वितरण पुं० [सं.] दान (२) बहेंचणी वितरना सक्रि० (प.) वहेंचवू वितरेक, वितरिक्त अ० (प.) सिवाय; 'व्यतिरिक्त' [शंका वितर्क पुं० [सं.] विशेष के वधु तर्क (२) वितल पुं० [सं.] एक पाताळ वितान पुं० [सं.] फेलावो; विस्तार वितुंड पुं० [सं.] हाथी वित्त पुं० [सं.] धन; संपत्ति विथकना अ०क्रि० (प.) थाकवू; ढीलुं थq (२) मोह के आश्चर्यथी चूप थई जवू वियकित वि० (प.) थाकेलं विथराना, विथारना स०क्रि०. (प.) बधे पाथरवू - फेलावq व्यथित विथा स्त्री० (प.) व्यथा. -थित वि० विथारना स०क्रि० जुओ 'विथराना' विदग्ध वि० [सं.] काबेल; चतुर; होशियार (२) दाझेलु विदरना अ०क्रि० फाटq; चिराई (२) सक्रि० फाडवू; विदार विदा स्त्री० [अ.] विदाय विदाई स्त्री० विदाय (२) विदायगीरी के त्यारे अपातुं धन विदारण पुं० [सं.] विदार-चीर, ते For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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