SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 500
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . वाहिनी ४८४ विचारना वाहिनी स्त्री० [सं.] सेना (२) नदी विक्री स्त्री० वेचाण (२) वकरो वाहिब वि० [अ.] क्षमाशील; दयाळु विक्रेता पुं० [सं.] वेचनार वाहिम वि० [अ.] वहेम के कल्पना । विक्षिप्त वि० [सं.]फेंकेलं(२)व्यग्र; विह्वळ करनालं; कल्पनाशील विक्षुब्ध वि० [सं.] क्षोभ पामेलं; अशांत वाहिमा स्त्री० [अ.] कल्पनाशक्ति विक्षेप पुं० [सं.] फेंकवं ते (२) व्यग्रता वाहियात वि० वाहियाद; नकामु (२) (३) विघ्न खराब; बूरुं विक्षोभ पुं० [सं.] क्षोभ; अशांतता; उद्वेग वाही वि० [अ.] नवरं; नकामु (२) सुस्त; । विख पुं० (प.) वख; झेर (२) वि० ढीलु (३) मूर्ख (४) बेहूदुं (५) [सं.] [सं.] नकटुं; नाक विनानुं वही-लई जनालं; वाहक विख्यात वि० [सं.] जाणीतुं प्रसिद्ध.-ति वाही-तबाही वि० बेहू, (२) ढंगधडा स्त्री० प्रसिद्धि वगरनुं (३) स्त्री० तेवी वातो विगंध वि० [सं.] निर्गंध (२) गंधातुं विकट वि० [सं.] कठण; मुश्केल (२) विगत वि० [सं.] गयेलं; वीतेलं; पहेलांन वांकु (३) भयंकर विगति स्त्री० सं.] दुर्गति; खराबी विकराल वि० [सं.] विकराळ; भयंकर । विगर्हण पुं०, -णा स्त्री० [सं.] निंदा; विकल वि०[सं.] व्याकुळ; बेचेन (२) तुच्छकार [(२) खराब कलारहित (३) व्यंग; खंडित विहित वि० [सं.] निंदित; तुच्छकारायेलं विकलित वि० [सं.] व्याकुळ (२) दुःखी । विगलित वि० [सं.] पीगळेलं; ढीलु पडेलु विकल्प पुं०[सं.] भ्रांति (२) ऊलटी- विगुण वि. सं.] गुणहीन विपरीत कल्पना (३) विविध कल्पना विग्रह पुं० [सं.] शरीर (२) युद्ध; झघडो विकसना अ०क्रि० विकसवू; खीलQ विघटन पुं० [सं.] विगठन; संगठन मटी विकार पुं०[सं.] बदलावू के बगडवू ते जq ते (२) रोग; दोष (३) वासना विघ्न पुं० [सं.] अडचण; खलेल विकास पुं० [सं.] खिलवणी; फेलावो विचक्षण वि० [सं.] चतुर; बुद्धिमान (२) विकीर्ण वि० [सं.] वीखरायेलु(२)विख्यात निपुण; प्रवीण । विकृत वि० [सं.] विकारवाळू; बगडेलं; विचरना अ०क्रि० विचरवं; हरवु-फरवू दोषित. -ति स्त्री० विकार; दोष विचल,-लित वि० [सं.] अस्थिर; चलित विकेट पुं० [इं.] क्रिकेटनी विकेट विचार पुं० [सं.] ख्याल; समज; मननो विक्टोरिया स्त्री० [इं.] चार पैडांनी एक निश्चय [(२) न्यायाधीश जातनी बगी विचारक पुं० [सं.] विचार करी जाणनार विक्रम पं०सं.] ताकात; बळ. -नी वि० विचारणा स्त्री० [सं.] विचारवं ते बळवान (२) विक्रमने लगतुं विचारणीय वि० [सं.] विचारवा योग्य विक्रय पुं० [सं.] वेचाण के तेम करवानी जरूरवाळं विक्रांत वि० [सं.] पराक्रमी; वीर विचारना सक्रि० विचार, For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy