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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५ नक्षत्र अबीर अबीर पुं० [अ.] अबील [{० तेवो रंग अभिजित वि० [सं.] विजयी(२) पुं० एक अबीरी वि० [अ.] अबोलना रंगk (२) . अबुहाना अ० क्रि० धूणवं; 'अभुआना' अभिज्ञ वि० [सं.] जाणकार (२) निपुण अबूझ वि० अबोध; अणसमजु . अभिज्ञान पुं० [सं.] स्मृति'; ओळख अबे अ०. (नाना के ऊतरता माणस (२) ओळखनी निशानी माटे संबोधन)ए, अल्या. -तबे करना अभिधान पुं० [सं.] नाम (२) शब्दकोष = निरादरसूचक बोलवू . अभिनन्दन पुं० [सं.] आनंद (२) संतोष अवेर स्त्री०(प.) [सं. अवेला] विलम्ब (३) प्रशंसा (४) नम्र विनंती अबोध वि० [सं.] जुओ 'अबूझ' अभिनय पुं० [सं.] चाळा; नकल (२) अबोला पुं०रिसाईने न बोलवू ते;अबोला नाटकनो वेश भजववो ते अब्ज पुं० [सं.] कमळ (२) अबज संख्या अभिनव वि० [सं.] नवु (२) ताजु अन्द पुं० [सं.] वरस (२) वादळ अभिनिवेश पुं० [सं.] अंदर पेसवं ते अब्धि पुं० [सं.] समुद्र (२) एकाग्रता (३) दृढ संकल्प । अब्बा पुं० [फा. बाप अभिनेता पुं० [सं.]अभिनय करनार; नट अब्बास पुं० [अ.] एक फूलझाड । अभिप्राय पुं० [सं.] मतलब; आशय अब्बासी स्त्री० इजिप्तनो एक जातनो अभिभावक वि० [सं.] वश करनार; कपास (२) एक जातनो लाल रंग हरावनार अब पुं० [फा.] अभ्र; वादळ अभिभूत वि० [सं.] वश; पराजित अब्रह्मण्य पुं० [सं.] ब्राह्मणने उचित । अभिमत वि० [सं.] इष्ट; वांछित (२) नहि एबुं-- कुकर्म ; पाप। __ संमत (३) पुं० मत'; अभिप्राय (४) अबू स्त्री० [फा.] जुओ ‘अबरू' मननी वात . अबे-बाराँ पुं० [फा.] वरसादनुं वादळ . अभिमान पुं० [सं.] गर्व; अहंकार अभंग वि० [सं.] अखंड; अविनाशी अभिमानी वि० [सं.] गर्विष्ठ ; अहंकारी अभक्ष्य वि० [सं.] न खाई शकाय तेवू अभिमुख अ० [सं.] सामे; सन्मुख --निषिद्ध अभियुक्त वि० [सं.] आरोपी; प्रतिवादी अभय वि० [सं.] नीडर (२) पुं० नीडरता । अभियोक्ता पुं० [सं.] वादी; फरियादी अभागा,-गी वि० अभागी अभियोग पुं० [सं.] आरोप; फरियाद अभाग्य पुं० [सं.] दुर्भाग्य ; कमनसीब (२) चडाई; हल्लो अभाव पुं० [सं.] न होवू ते(२)कमी; खोट. अभियोगी पुं० [सं.] जुओ ‘अभियोक्ता' अभिक्रमण पुं० [सं.] चडाई; हुमलो अभिरुचि स्त्री० [सं.]हचि; चाहा पसंदगी अभिगमन पुं०[सं.] से जq ते(२) पंभोग अभिलाष पुं०, -षा स्त्री० [सं.] इच्छा; अभिचार पुं० [सं.] मंत्रथी जारण-मारण कामना; आकांक्षा करवू ते अभिवादन पुं० [सं.] नमस्कार(२) स्तुति अभिजात वि० [सं.] कुलीन; खानदान' । अभिशाप पुं० [सं.] शाप (२) मिथ्या (२) योग्य; मान्य (३) सुन्दर आरोप . For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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