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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आम्रादिफलवर्गः। १६५ होताहै कटुआहै वातवालाहै मद करै है हलका है अत्यन्त पीडाको नाश करदेताहै ॥ ६६ ॥ कुल करै है और कफ पित्त रक्त इनकों नाश करताहै ॥ अथ फलेंद्रा तथा जामुनीगुणाः. फलेंद्रा कथिता नन्दो राजजम्बूमहाफला ॥ ६७ ॥ तथा सुरभिपत्रा च महाजम्बूरपि स्मृता । राजजम्बूफलं स्वादु विष्टम्भि गुरु रोचनम् ॥ ६८॥ क्षुद्रा जम्बूः सूक्ष्मपत्रा नादेयी जलजम्बुका । जम्बू संग्राहिणी रूक्षा कफपित्तास्त्रदाहनुत् ॥ ६९ ॥ फलेंद्रा अनन्दा राजजंबू महाफला ॥ ६७ ॥ सुरभिपत्रा महाजंबू ये नामहैं और यह स्वादिष्ठहै विष्टंभकारकहै भारी होता है रोचन होताहै ॥ ६८ ॥ क्षुद्रजम्बू सूक्ष्मपत्रा नादेयी जलजम्बुका ये नामहैं और यहजामन कुब्ज करतीहै रूखी होती है और कफपित्त रक्त दाह इनोंकों नाश करतीहै ॥ ६९॥ पुंसि स्त्रियां च कर्कन्धूर्बदरी कोलमित्यपि । फेनिलं कुवलं घोण्टा सौवीरं बदरं च तत् ॥ ७० ॥ अजाप्रिया महाकोली विषमोभयकण्टकः। टीका-कर्कन्धू बदरी कोली फेनिल कुवल छोटा सौवीर ॥ ७० ॥ अजप्रिया महाकोली विषमीभयकंटका ये नाम हैं । पच्यमानं सुमधुरं सौवीरं बदरं महत् ॥७१॥ सौवीरं बदरं शीतं भेदनं गुरु शुक्रलम् । बृंहणं पित्तदाहास्त्रक्षयतृष्णानिवारणम् ॥७२॥ सौवीराल्लघु संपकं मधुरं कोलमुच्यते । कोलं तु बदरं ग्राही रुच्यमुष्णं च वातहत् ॥७३॥ कफपित्तकरं चापि गुरु सारकमीरितम् । कर्कन्धूः क्षुद्रबदरं कथितं पूर्वसूरिभिः ॥७४॥ अम्लं स्यात् क्षुद्रबदरं कषायं मधुरं मनाक् । For Private and Personal Use Only
SR No.020370
Book TitleHarit Kyadi Nighant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRangilal Pandit, Jagannath Shastri
PublisherHariprasad Bhagirath Gaudvanshiya
Publication Year1892
Total Pages370
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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