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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीः । हरीतक्यादिनिघंटे पुष्पादिवर्गः । अथ गुडूच्या उत्पत्तिर्नामानि गुणाश्च. तत्रादौ कमलस्य नामानि गुणाश्च. वा पुंसि पद्मं नलिनमरविन्दं महोत्पलम् । सहस्रपत्रं कमलं शतपत्रं कुशोशयम् ॥ १ ॥ पङ्केरुहं तामरसं सारसं सरसीरुहम् । बिसप्रसून राजीव पुष्कराम्भोरुहाणि च ॥ २ ॥ कमलं शीतलं वर्ण्य मधुरं कफपित्तजित् । तृष्णादाहास्त्रविस्फोटविषवीसर्पनाशनम् ॥ ३ ॥ विशेषतः सितं पद्मं पुण्डरीकमिति स्मृतम् । रक्तं कोकनदं ज्ञेयं नीलमिन्दीवरं स्मृतम् ॥ ४॥ धवलं कमलं शीतं मधुरं कफपित्तजित् । तस्मादल्पगुणं किञ्चिदन्यद्रक्तोत्पलादिकम् ॥ ५ ॥ टीका - उस्में पहले कमलके नाम और गुण कहते हैं. पद्म, नलिन, अरविंद, महोत्पल, सहस्रपत्र, कमल, शतपत्र, कुशेशय ॥ १ ॥ पंकेरुह, तामरस, सारस, सरसीरुह, विसप्रसून, राजीव, पुष्कर, अम्भोरुह यह कमलके नाम हैं ॥ २ ॥ कमल शीत, व्रणकों अच्छाकरनेवाला, मधुर, कफपितकों हरनेवाला और तृषा, दाह, रक्त, विस्फोट, विष, विसर्प इनकों हरता है ॥ ३ ॥ विशेषकरके श्वेतपद्मकों पुण्डरीक ऐसा कहा है. लालकों कोकनद जानना चाहिये. और नीलेकों इन्दीवर ऐसा है ॥ ४ ॥ श्वेतकमल शीतल, मधुर, कफकों हरनेवाला है, उस्सें कुछ अल्पगुवाले दुसरे लालकमलादिक हैं ॥ ५ ॥ कहा १७ For Private and Personal Use Only
SR No.020370
Book TitleHarit Kyadi Nighant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRangilal Pandit, Jagannath Shastri
PublisherHariprasad Bhagirath Gaudvanshiya
Publication Year1892
Total Pages370
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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