SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 136
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गहूच्यादिवर्गः । अथ सोमलता तथा आकाशवल्लीना मगुणाः. सोमवल्ली सोमलता सोमक्षीरी द्विजप्रिया । सोमवल्ली त्रिदोषनी कटुस्तिक्ता रसायनी ॥ २५८ ॥ आकाशवल्ली तु बुधैः कथितामरवल्लरी | वल्ली ग्राहिणी तिक्ता पिच्छिलाक्षामयापहा ॥ २५९ ॥ तुराकिरी हा पित्तश्लेष्मामनाशिनी । ठीका - सोमवल्ली, सोमलता, सौमक्षीरी, द्विजप्रिया, यह सोमलता के नाम हैंसोमलता, त्रिदोष हरती है, कडवी, तिक्त, रसायनी है ॥ २५८ ॥ आकाशवल्लीकों पंडित अमरवेल कहते हैं. आकाशवल्ली, काविज, तिक्त, चेपदार, राजयक्ष्मारोगकों हरती ॥२५९॥ कसेली अग्निकों करनेवाली, हृद्य, पित्त, कफ, इनकों हरती है, ११९ अथ पातालगरुडी तथा वन्दानामगुणाः. छिलिहिण्टो महामूलः पातालगरुडाह्वयः ॥ २६० ॥ छिलिहिण्टः परं वृष्यः कफघ्नः पवनापहः । वन्दा वृक्षादनी वृक्षभक्ष्या वृक्षरुहापि च ॥ २६१ ॥ बन्दाकः स्याद्धिमस्तिक्तः कषायो मधुरो रसे । माङ्गल्यकफवातास्त्ररक्षोव्रणविषापहः ॥ २६२ ॥ टीका -- छिलिहिण्ट, महामूल, पातालगरुडीनामवाली, यह पातालगरुडीके नाम हैं || २६० || पातालगरुडी अत्यन्त शुक्रकों उत्पन्न करनेवाली, कफ हरती arant हरती है. वृक्षादनी, बन्दा, वृक्षभक्षा, वृक्षरुहा || २६१ || यह वन्दाकके नाम हैं. बन्दाक शीतल, तिक्त, कसेला, रसमें मधुर है, और मंगलकारक, कफ, वात, रक्त, राक्षस, व्रण, विष, इनकों हरता है ॥ २६२ ॥ अथ वटपत्र नामगुणाः. वटपत्री तु कथिता मोहिनी रेचनी बुधैः । वटपत्री कषायोष्णा योनिमूत्रगदापहा ॥ २६३ ॥ हिपत्री तु कबरी पृथ्वीका प्रथुका पृथुः । For Private and Personal Use Only
SR No.020370
Book TitleHarit Kyadi Nighant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRangilal Pandit, Jagannath Shastri
PublisherHariprasad Bhagirath Gaudvanshiya
Publication Year1892
Total Pages370
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy