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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०८ हरीतक्यादिनिघंटे अथ लघुदन्तीनामगुणाः. लघुदन्ती विशल्या च स्यादुदुम्बरपर्ण्यपि ॥ १९६ ॥ तथैरण्डफला शीघ्रा श्येनघण्टा घुणप्रिया। वाराहाङ्गी च कथिता निकुम्भश्च मकूलकः ॥ १९७ ॥ टीका-लघुदन्ती, विशल्या, उदुम्बरपर्णी, ॥१९६॥ एरण्डफला, शीघ्रा, श्येनघंटा, घुणप्रिया, वाराहांगी, निकुम्भ, मकूलक, यह छोटी दन्तीके नाम हैं॥१९७॥ अथ बहद्दन्तीएरण्डपत्रविटपा. द्रवन्ती सा वरी चित्रा प्रत्यक्पर्ष्याखुपर्ण्यपि । चित्रोपचित्रा न्यग्रोधी प्रत्यक्श्रेण्याखुकर्ण्यपि ॥ १९८॥ दन्तिकं च सरं पाके रसे च कटु दीपनम् । गुदाङ्कुराश्मशूलार्शःकण्डूकुष्ठविदाहनुत् ॥ १९९ ॥ तीक्ष्णोष्णं हंति पित्तास्त्रकफशोथोदारकमीन् । टीका-जिसका फल जमालगोटा है, जो बडी दन्ती उसके पत्ते एरंडके पत्तोंके समान होते हैं. द्रवंती, वरी, चित्रा, प्रत्यक्पर्णी, आखुपर्णी, चित्रोपचित्रा, न्यायोधी, प्रत्यक्श्रेणी, आखुकर्णी, यह दंतीके नाम हैं ॥ १९८ ॥ दोनों दन्ती दस्तावर, पाक और रसमें कडवी, दीपन, बवासीर, पथरी, शूल, खाज, कुष्ठ, विदाह, इनकों हरती है ॥ १९९ ॥ तीखी, और उष्ण है, तथा रक्त, पित्त, कफ, शोथ, उदररोग, कृमि, इनको हरती है. __ अथ लघुदन्तीफलम्. क्षुद्रदन्तीफलं तु स्यान्मधुरं रसपाकयोः ॥ २०० ॥ शीतलं सृष्टविण्मूत्रगरशोथकफापहम् । जयपालो दन्तिबीजं विशेषातितिडीफलम् ॥ २०१॥ जयपालो गुरुः स्निग्धो रेची पित्तकफापहः । . टीका-छोटे जमालगोटेका फल रस और पाकमें मधुर होता है ॥ २०० ॥ और शीतल होता है, तथा मिलेहुए मलमूत्रको निकालनेवाला, विषके शोथकों तथा For Private and Personal Use Only
SR No.020370
Book TitleHarit Kyadi Nighant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRangilal Pandit, Jagannath Shastri
PublisherHariprasad Bhagirath Gaudvanshiya
Publication Year1892
Total Pages370
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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