SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 865
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सुर-दु सुजोर* - वि० शहजोर, बलवान्; ध्द, पायदार | सुज्ञ - वि० [सं०] सुविज्ञ; पंडित । www.kobatirth.org सुतिन* - स्त्री० दे० 'सुतनु' । सुतिनी - स्त्री० [सं०] बेटेवाली स्त्री, पुत्रवती । सुझाना - स० क्रि० दिखाना; बताना, सूचना देना । अ० सुतिया - स्त्री० गलेमें पहननेका एक गहना, हँसली । क्रि० दिखाई देना, सूझ पड़ना । - पु० सुतार, शिल्पी । सुझाव- पु० सुझाने की क्रिया; तजवीज, सलाह । सुटुकना - भ० क्रि० चुपकेसे निकल जाना; सिकुड़ना । सुतीक्षण* - वि०, पु० दे० 'सुतीक्ष्ण' | स० क्रि० चाबुक लगाना; निगल जाना । सुठ* - वि० दे० 'सुठि' । सुंदर, अच्छा। अ० अति, बहुत ज्यादा; सुतंतर* - वि० दे० 'स्वतंत्र' । सुतंत्र* - वि० दे० 'स्वतंत्र'। * अ०स्वतंत्रतापूर्वक; आजादी से | सुत - वि० [सं०] उत्पन्न, पैदा किया हुआ । पु० बेटा, पुत्र । - दा - वि० स्त्री० पुत्र देनेवाली । स्त्री० पुत्रदा लता; एक देवी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुतधार* - पु० सूत्रधार, नियंता । सुतना+ - पु० सूधन । अ० क्रि० सोना । सुतनु - वि० [सं०] सुंदर शरीरवाला; बहुत ही नाजुक, दुबला-पतला । स्त्री० सुंदर स्त्री, कोमलांगी । सुतर* - पु० दे० 'शुतुर' । -नाल * - स्त्री० दे० 'शुतुरनाल' | - सवार* - पु० दे० 'शुतुरसवार' | सुतरां (राम्) - अ० [सं०] और भी; अतः, इसलिए । सुतरी -* स्त्री० तुरही; + दे० 'सुतली' । सुतल - पु० [सं०] नीचेके सात लोकों में से छठा । सुतली - स्त्री० सन या पटसनके रेशोंसे बटकर बनायी हुई जिससे खाट बुनते और दूसरे काम लेते हैं । सुतहर, सुतहार* - पु० दे० 'सुतार' | सुतही - स्त्री० सीपी | सुठहर* - पु० अच्छा ठौर, स्थान । सुठार* - वि० 'सुडौल ' । सुठि* - वि० पूरा-पूरा । सुठोना* - वि० अच्छा, सुंदर । सुड़कना - स० क्रि० किसी तरल पदार्थको नाककी राह, साँसके साथ भीतर खींचना, नास लेना; नाकके मलको ऊपर की ओर खींचकर निगलना; पी जाना । सुरसुड़ाना - स० क्रि० (हुक्का आदि) इस तरह पीना कि सुथनिया* - स्त्री० सुथनी, ढीला जायजामा | सुथना - पु० पायजामा | 'सुड़· सुइ' की आवाज निकले । सुडौल - वि० सुंदर बनावटवाला, सुघड़, सुंदर । सुढंग - पु० अच्छा, सुंदर ढंग । वि० सुंदर, सुघड़; अच्छे सुथरा - वि० साफ, स्वच्छ, परिष्कृत; निर्दोष ( सुधरा स्वभावका । सुदर* - वि० प्रसन्न, अनुकूल; सुडोल । सुढार* - वि० सुडौल, सुंदर । मजाक ) । - पन - पु० स्वच्छता, सफाई; परिष्कार । सुथराई - स्त्री० सुधरापन । सुतंत* - वि० दे० 'स्वतंत्र' । सुदंत - वि० [सं०] सुंदर दाँतोंवाला । पु० अच्छा दाँत । सुदंष्ट्र - वि० [सं०] या सुंदर दाँतोंवाला । सुदक्षिण- वि० [सं०] बहुत कुशल; नम्र; सच्चा, खरा; बहुत उदार, दक्षिणा देनेवाला । पु० एक कंभोजनरेश | सुदक्षिणा - स्त्री० [सं०] दिलीपको पली; कृष्णकी एक पली । सुदच्छिन* - ५० दे० 'सुदक्षिण' । ८५६ सुतिहार* सुती ( तिनू ) - वि० [सं०] जिसके बेटा हो, पुत्रवान् । सुतारी - स्त्री० जूता सीनेका सूआ; बढ़ईगिरी । सुतार्थी (र्थिन् ) - वि० [सं०] संतानका अभिलाषी । सुतीक्ष्ण - वि० [सं०] अति तीक्ष्ण । पु० अगस्त्य मुनिके भाई जो वनवासमें रामसे मिले थे; सहिजन । सुतीखन, सुतीच्छन* - वि०, पु० दे० 'सुतीक्ष्ण' । सुतीर्थ - वि० [सं०] जो आसानीसे पार किया जा सके । पु० अच्छा मार्ग; पवित्र स्नानस्थल; पूज्य वस्तु । सुतुही। - स्त्री० सीपी | सुतोत्पत्ति - स्त्री [सं०] पुत्रजन्म | सुतोष, सुतोषण - वि० [सं०] जो जहद प्रसन्न हो जाय । सुत्थना - पु० सुथना । सुथनी - स्त्री० स्त्रियों के पहनेका ढीला पायजामा; एक कंद, पिंडालू | सुदती - वि० स्त्री० [सं०] सुंदर दाँतोंवाली (स्त्री) । सुदरसन* - पु० दे० 'सुदर्शन' । -पानि-पु० विष्णु | सुदर्श - वि० [सं०] जो देखने में सुंदर हो; जो आसानीसे देखा जा सके । सुदर्शन - वि० [सं०] प्रियदर्शन, सुंदर; जिसका सहज में दर्शन हो सके, सुदृश्य । पु० गृध्रः शिवः विष्णुका चक्र; मत्स्य । -चक्र-पु० विष्णुका चक्र ! - चूर्ण - पु० आयुवेदका एक योग जो ज्वरकी प्रसिद्ध औषध है । -पाणिपु० विष्णु । सुदामा ( मन्) - पु० [सं०] बादल; एक पर्वत; ऐरावत; समुद्रः कृष्णका एक दरिद्र सहपाठी जिसे उन्होंने ऐश्वर्यशाली बना दिया । सुदि - स्त्री० शुक्ल पक्ष । सुदिन - पु० [सं०] अच्छा दिन, शुभ दिन; सुखके दिन । सुता - स्त्री० [सं०] लड़की, बेटी । - दान-पु० कन्यादान । सुदी - स्त्री० शुक्ल पक्ष । - पति-पु० दामाद । - पुत्र, सुत - पु० नाती । सुदीपति* - स्त्री० दे० 'सुदीप्ति' । सुतान - वि० [सं०] सुंदर; सुरीला । सुताना+स० क्रि० दे० 'सुलाना' । सुदीप्ति - स्त्री० [सं०] तेज रोशनी या चमक । सुदीर्घ - वि० [सं०] बहुत लंबा ( देश, काल ); सुविस्तृत । सुतार - पु० बढ़ई; शिल्पी + सुभीता, अनुकूल अवसर । सुदुःसह - वि० [सं०] जिसका सहन करना कठिन हो । * वि० बहुत अच्छा । सुदुर्लभ - वि० [सं०] अति दुर्लभ, जिसे प्राप्त करना बहुत कठिन हो; बहुत नायाब । सुदुष्कर - वि० [सं०] अति कष्टसाध्य, बहुत ही कठिन । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy