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गहर-गढ़ाई
२०० गहर-पु० बड़ी गठरी, गट्ठा ।
गड़बड़िया-वि० गड़बड़ करनेवाला । गट्ठा-पु० बड़ी गठरी, गट्ठर घास, लकड़ी आदिका बोझा गड़बड़ी-स्त्री० दे० 'गड़बड़'। प्याज इत्यादिकी गाँठ; कहा।
गड़रिया-पु० एक हिंदू जाति जो भेड़ें पालती है। गट्टी-स्त्री० गाँठ।
गड़वाँत-स्त्री० पहियेकी लीक । गठन-स्त्री० बनावट, रचना; अंगोंका कसाव, दृढ़ता। गड़वाना-स० क्रि० गाड़नेका काम कराना। गठना-अ० कि० जुड़ना; गाँठा जाना; सिला जाना, गड़हा-पु० दे० 'गड्ढा '। टॉका भरा जाना; ठीक तौरसे बनना; कसा हुआ, हृढ़ | गड़ही-स्त्री० छोटा गड्ढा । होना; अधिक हेल-मेल होना।
गड़ा-पु० ढेर, गाँज, राशि। गठरी-स्त्री० कपड़े में बँधा हुआ सामान, बुकचा; बोझ; गड़ाना-स० क्रि० चुभाना, फँसाना; दे० 'गड़वाना'। संचित धन, जमा; बड़ी रकम, तैराकीमें घुटनोंको छातीसे गड़ायत*-वि० गड़ने, चुभनेवाला। लगाने और दोनों हाथोंसे बाँध देनेकी मुद्रा । -मुटरी-गड़ारी-स्त्री० वृत्त, घेरा; आड़ी लकीर; घिरनी, गोल स्त्री० गठरीमें बँधा हुआ सामान, यात्रीका सामान । चरखी; घिरनीके बीचका गड्ढा; एक घास ।-दार-वि. मु०-कटना-भारी रकम हाथसे निकल जाना।
आड़ी धारियोंवाला, घेरदार जिसमें गड़ारी जैसा गड्ढा हो। गठवाई-स्त्री० (जूता) गाँठनेकी उजरत ।
ग.डुआ(वा)-पु० टोटीदार लोटा, झारी; फूलका लोटा। गठवाना, गठाना-स० क्रि० सिलवाना; जुड़वाना । ग.दुई-स्त्री० छोटा ग डुवा । गठा-पु० दे० 'गट्ठा'।
ग.दु(डो)लना-पु० बच्चोंको घुमानेकी छोटी गाड़ी। गठाव-पु० गठन।
गड़ेरदार-वि० घेरदार । गठित-वि० ग्रथित, गठा हुआ, बना हुआ।
गड़ेरिया-पु० दे० 'गड़रिया। गठिबंध*-पु० दे० 'गँठबंधन'।
गड़ोना-म०कि.चुभाना, फँसाना । गठिया-पु० अनाज आदिका बोझ लादनेका दुहरा थैला गड़ौना-पु० एक तरहका पान; * काँटा । या बोरा, खुरजी छोटी गठरी संधिवात ।
गड-पु० एकपर एक रखी हुई चीजोंकी राशि ताशके गठियाना-स० क्रि० गाँठ देना; गाँठमें बाँधना । पत्तों, कागज आदिका ढेर; * गड्ढा । -बडु,-महगठिवन-पु० एक पेड़ जिसकी कलियाँ दवाके काम आती वि० बिना किसी क्रम-नियमके मिला हुआ, खस्त-मस्त । हैं, ग्रंथिपर्णी ।
गड्डी-स्त्री० छोटा गड, ढेर; ताशके पत्तों, कागजों, सोनेगठीला-वि० गठा हुआ, कसा हुआ, दृढ़ ।
चाँदीके वरकों आदिका एकपर एक जमाकर रखा हुआ ढेर । गठौत, गठौती-स्त्री० मेलजोल, दोस्ती; अभिसंधि । गट्टा-पु० गढ़ा, गर्त ।। गड़कना*-अ० क्रि० गड़गड़ शब्द करना; इबना। गढंत-वि० गढ़ा हुआ, कल्पित । स्त्री० गढ़ी हुई बात । गड़गड़ा-पु० एक तरहका हुक्का, बड़ी गुड़गुड़ी।
गढ़-पु० कोट, किला; अड्डा, केंद्र खाई । -कप्तान-पु० गड़गड़ाना-अ० क्रि० गड़गड़ शब्दहोना,गरजना(बादल)। किलेदार । -पति-पु० गढ़का प्रधान अधिकारी, किले
स० क्रि० गड़गड़ शब्द उत्पन्न करना; हुक्का पीना। दार । -पाल-पु० गढ़पति । -वार*-पु० गढ़वाल । गड़गड़ाहट-स्त्री० गड़गड़ाने, बादल गरजने आदिकी -वाल-पु० गढ़पति; उत्तराखंडका एक प्रदेश। आवाज; हुक्केकी आवाज ।
गढ़त, गढ़न-स्त्री० बनावट, आकृति; गठन । गड़दार-पु० मतवाले हाथीकेसाथ भाला लेकर चलनेवाला; गढ़ना-सक्रि० किसी चीज, उपादानभूत पदार्थसे औजामहावत ।
रोंकी सहायतासे कुछ बनाना, रचना, निर्माण करना; गड़ना-अ० क्रि० चुभना, फँसना; चुभनेकी पीड़ा होना; काट-छाँट या ठोक-पीटकर सुडौल करना; कल्पना करना, घुसना, समाना; जमना, ठहरना, स्थिर होना; गाड़ा। मनसे उपजाना; पीटना, मरम्मत करना (ग्रा०)। जाना, दफन होना; (झंडा आदि) खड़ा किया जाना । | गढ़वाना-स० क्रि० 'गढ़ना'का प्रेर०, गढ़ाना। मु० गड़ जाना-लज्जासे सिर झुक जाना; गड़ा मुर्दा गढ़ा-पु० जमीनमें खोदकर बनाया हुआ या प्रकृति-निर्मित या गड़े मुर्दे उखाड़ना-पुरानी भूली हुई ( अप्रिय ) छेद, गर्त, गार; दबी, धंसी हुई जगह; पेट (ला०) । बातोंकी चर्चा करना, याद दिलाना ।
मु० (किसीके लिए)-खोदना-किसीकी बुराईका, गइप-स्त्री० पानी, दलदल में किसी चीजके जल्दीसे धंसने, किसीको नुकसान पहुँचानेका उपाय करना । -भरनाडूबनेका शब्द ।
घाटा पूरा होना; पेट भरना। गढ़ेमें गिरना-विपद्में गड़पना-स० कि० निगलना, गपकना ।
फँसना पतन होना। गड़प्पा-पु० भारी गहा, दलदल, पाल जिसमें चीज या गढ़ाई-स्त्री० गढ़नेका काम; गढ़नेकी उजरत । आदमी धंस जाय।
| गढ़ाना-स० क्रि० गढ़वाना, बनवाना। अ० क्रि० खलना। गड़बड़-वि० गड-बड, अस्त-व्यस्त । पु०, स्त्री० अव्यवस्था, गढ़िया-पु० गढ़नेवाला। गोलमाल; बद-अमली, उपद्रव; खराबी रोगादिका प्रकोप। गढ़ी-स्त्री० छोटा गढ़, किला; मजबूत मकान । -झाला-पु० गोलमाल, अव्यवस्था, झमेला ।
गढ़ीश(स)*-पु० गढ़पति, किलेदार । गड़बड़ाना-अ० कि० गड़बड़ होना। स० क्रि० गड़बड़ | गढ़ेया-वि० गढ़नेवाला । स्त्री० गड़ही, छोटा तालाब । करना।
| गढ़ोई*-पु० गढ़पति ।
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