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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुमूर्ति अभिषेक ६४, सिंघोडा ६४, (तिल सवा पाउ, होमीजे, पछी अंतमे होममाहि नालियेर १ होमिये ) बाकी सेस भणी वधारीये । पछी समस्त संघने मधुर आहारे यथाशक्ति भक्ति करीये । इति स्तूप पादुका प्रतिष्ठा विधि । अथ पादुका प्रतिष्ठा विधि-प्रथम गुरु सदश वन खीरोदक तथा टसरीया खानजाई प्रमुख पहेरी, पवित्र थई NI "श्री जिनकुसलमूरि" ना काउस्सग्ग करी बेसे । पछी श्रावक-श्राविका सखरी थालीमांहि श्री गुरुपादुका मूकी निर्मल पाणीसुं पखालीइ। पछी केवल सूखडसुं उंचे-नीचे लेपइ । गाढा मसलइ । पछी पाणीसुं धोवे । पंचामृतसुं "पखालें। पछी गंगाना पाणीथी पखालीए । पछी सात धान्य एकठा करी सरावला भरी आगे मूकीए । दीवा घीना कीजे । पछी केसर-कपूर-कस्तूरीगोरोचनथी पूजा करीए । पछो सौभाग्य मुद्राये "वर्धमान विद्यासु" वासक्षेप करी पछी नवकार गुणी धूप दीजें । पछी आगळ नैवेद्य ढोकीए । इति पादुका प्रतिष्ठा विधिः । ॥ समाप्त ॥ accremcareerce creepecareerepepeaee केशर १६, तीत्थोदक १५, कपूर १८. इति अठारह अभिषेक ॥ २ होम करने का विधान गुरुमुख से जाणना ॥ ३ दादा कुशलसूरिजी का जाप और ध्यान गुरुमुखसे जान लेना ॥ ४ काव्य बोल के अभिषेक करे ।। ५ आचार दिनकरोक्त " यतिमूर्ति प्रतिष्ठा मंत्र" पृ. ७ बोलके मूर्तिपादुका कि स्थापना करे । For Private and Personal Use Only
SR No.020366
Book TitleGurumurti Pratishtha Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalsagar
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1961
Total Pages36
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size4 MB
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