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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org atreचालीस भोग चालीस वि० उनचालीस; उनतालीस ; ३९ [४९ ओगणपचास वि० उनचास; उंचास; ओगणसाठ वि० उनसठ; ५९ ओगणीस वि० उन्नीस ; १९ ओगणोतेर वि० उनहत्तर; ६९ ओगण्याएंशी वि० उन्नासी; ७९ ऑगस्ट पुं० अगस्त ओगळं (ऑ) अ० क्रि० ठोस वस्तुका प्रवाही होना; गलना; पिघलना (२) (शरीर) घुलना; दुबला होना (३) दयार्द्र होना; पसीजना; दिल पर असर होना [ला. ] ओगाट (-) (ऑ) पुं० मवेशियोंका खाते खाते छोड़ा हुआ चारा; आखोर ओगान पुं० पानीकी तरंग ओगास (ऑ) पुं०; न० देखिये 'ओगाट' ओगाळ (ऑ) स० क्रि० 'ओगळबुं' की प्रेरणार्थक क्रिया (२) धीरे धीरे [(२) ढेर; राशि ओघ पुं० ओघ ; बाढ़का पानी; प्रवाह ओघड (ऑ) वि० औघर; अनगढ़; बुद्धू (२) भावहीन; लागणीशून्य; • जिसे भयका खयाल न हो मोघरा (ऑ) वि० धब्बेदार ओघराळो (ऑ) पुं० डोई (२) लसदार चीज्रका दाग़ खा जाना ओघलो, ओघो पुं० ओोध; ढेर; गंजी (२) बिखरे हुए बालोंका समूह (३) भोज लेनेवालोंका बड़ा समूह ओचर ( - रियुं) (ऑ) न० हिसाबके ब्योरेका आधाररूप पुरजा; वाउचर ओखितुं (ऑ) वि० अनचीता ( २ ) अ० यकायक अचानक ओच्छव (ऑ) पुं० उत्सव धूमधाम ६१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ओझलपस्वी (२) ( गाते-बजाते हुए) भजन-कीर्तन ओड (०५) स्त्री० न्यूनता; कमी ओछाड (ऑ) पुं० बिछानेका कपड़ा; चादर; आच्छादन (२) ग्रिलाफ़ ; खोल ओछाढवं (ऑ) स० क्रि० ढकना; मोढ़ाना (२) छाना; छाँव करना ओछाबोलुं वि० कम बोलनेवाला; मितभाषी [ संकोच ; लज्जा ओछायो (ऑ) - पुं० छाँह; परछाईं (२) ओडुं वि० थोड़ा; कम (२) अधूरा; अपूर्ण (३) घटिया; हलका । [ -आज, आवबुं = दिल दुःखी होना; बुरा लगना (२) अपनेमें हीनभावका अनुभव करना । - : = बला टलना; दूर होना । - = कम या थोड़ा है ऐसा लगना; इसका दुःख या अपमान लगना । पात्र = कम योग्यता वाला या नीचे कुलका; ओछा आदमी (२) जिसके पेटमें बात न पचे (३) अभिमानी; बड़ाई हाँकनेवाला; ओछा आदमी। -लागवं = बुरा लगना; दिल दुःखी होना । - लावj = देखिये 'मोछु आववुं ' । - ओछु थई जवुं = प्रेम या हर्षके भावसे पुलकित हो जाना.] ओवसुं वि० कम-बेश; थोड़ा-बहुत ओजार (ऑ) न० औजार; आला; राछ; साधन योझल (ऑ) पुं० ; स्त्री० ; न० ओझल; परदा; बुरक़ा (२) जनाना । [-पाळबुं = स्त्रियोंका परदेमें रहना । - रहे = परदेमें रहना ( २ ) शरमाना [ला. ].] ओझलपड ( - ) दो (ऑ) पुं० स्त्रियों और पुरुषोंके बैठने की जगहके बीच में डाला हुआ परदा (२) परदा रखनेका रिवाज For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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