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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८. कमल (४) नये सिरेसे शुरू होना; रुके हुए कामका जारी होना; खुलना (स्कूल आदि) उपलवं अ० क्रि० घोड़ी चढ़ना (२) बदनाम होना (कटाक्षमें) . उचक अ० देखिये 'उच्चक'... ऊबकवू स० क्रि० उठाना; ऊँचा । करना; सिर पर रख लेना (२) उलाहना देना; धमकाना [ला.] ऊचकावं अ० क्रि० उठाया जाना ऊचकी स्त्री० हिचकी ऊचकुं वि० मँगनीका (२) नादार ऊचक्को पुं० उचक्का (२) ठग ऊचमूच अ० अचानक देना ऊची जवू अ० क्रि० दूध देना बंद कर ऊछरवू अ० क्रि० पलना ऊछळवू अ० क्रि० उछलना (२) जोश मारना (३) छलांग भरना; उछलना (४) धड़ाधड़ चलना (लाठी, तलवार, वस्तु इत्यादि) (५) खूब बढ़ जाना (चीजोंके दाम) ऊजड़ वि० देखिये 'उज्जड'; वीरान ऊजव, सक्रि० (व्रतादिका) उद्यापन करना (२) उत्सव मनाना (३) बदनाम करना (कटाक्षमें) कर्मणिरूप ऊजवाएं अ० क्रि० 'ऊजवq' क्रियाका ऊजळाई स्त्री० चमक; उजलापन (२) स्वच्छता (३) संस्कारिता (४) धनसंपत्तिसे पूर्ण होनेका आडंबर ऊजळाट पुं०, (-मण) स्त्री०; न०, (-श) स्त्री० उजलापन । ऊजळू वि० उजला; सफ़ेद (२) उजागर; चमकदार (३) निर्मल; स्वच्छ (४) उच्च वर्णका (५) अच्छे चाल-चलनवाला; सदाचारी (६)धनसे सुखी। [ऊनळा पगला = नेक कदम; शुभ सगुनवाला। ऊजळे लूगडे = आवरूके साथ; बिना बदनामीके.] ऊजळू (०फट), (०फटाक), (बग), (बग जेवू) वि० एकदम सफ़ेद ऊसववं स० क्रि० त्याग करना; छोड़ना अटक, स० क्रि० मांजना अटकावू अ० क्रि० मांजा जाना ऊटोकूटो पुं० अनाजको कूटकर फटकनेके बाद रहनेवाले छिलके; भूसी ऊ (-3) वि० साढ़े तीनगुना । ऊठबस स्त्री० उठ-बैठ (२) उठनेबैठनेकी कसरत ; उठा-बैठी (३) एक प्रकारकी सजा (४) बार बार उठना और बैठना (बेक़रारी या घबड़ाहटसे) अठवू अ.क्रि० उठना; खड़ा होना (२) जागना (३) चौकन्ना - सजग होना; उद्यत होना या उठ खड़ा होना (४) अचानक उपस्थित होना; आ पड़ना; टूट पड़ना (दंगा, आँधी) (५) कार्य खत्म करके उठना (सभा, अदालत) (६) खिलना; निखरना; बराबर खुलना; उभरना (७) दिलसे उतरना; मन फिर जाना। [ऊठ पहाणा पग पर = अपने ही हाथों अपना खराब करना। ऊठतां बेसतां उठते-बैठते; हर वक्त। ऊठी जवं = चला जाना (२)(शाला)छोड़ देना (३) दिवाला निकालना; तबाह होना (४) मर जाना । ऊठीने बेहूं थवं = बीमारीमेंसे अच्छा होना.] अठवेठ स्त्री० सेवा-टहलमें हरदम हाजिर रहनेसे होनेवाला श्रम (२) बह श्रम जो बेगार-सा लगे For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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