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उंदर
| दान
उंदर पुं० चूहा मूस उंदरकणियुं न०, उंदरकणी स्त्री० चूहाउंदरडी स्त्री० चुहिया; मूषा उंदरडो पुं० चूहा (२) मूषी; बड़ा चूहा उंदरबाई स्त्री०, उंदरियुं न० चूहादान उंबर पुं० देहली; चौखट
ऊ पुं० देवनागरी वर्णमालाका छठा वर्ण - एक स्वर
ऊकटो पुं० उठी हुई आँखकी एक दवा कडुं वि० देखिये 'उभडक'
ऊकलवं अ० क्रि० उकलना; खुलना; सुलझना ( गुत्थी, डोर, लपेट, ऐंठन आदि) (२) (अक्षर या लिखा हुआ ) पढ़ा जाना ( ३ ) सधना; काम पूरा होना
ऊळबंदु न० वह तापमान जिस पर पदार्थ खौलने लगे; 'बोइलिंग पॉइन्ट' [ प. वि. ]
ऊकळवं अ० क्रि० उबलना; खौलना
(२) उबल पड़ना; गुस्सा होना ऊड अ० क्रि० उखड़ना ( २ ) जड़मूलसे अलग होना; हटना ( ३ ) गुस्सा हो जाना; आपे से बाहर हो जाना [ला. ] (४) बहक जाना; आवारा होना । | ऊखडी जवं = तबाह हो जाना; दुर्दशा होना । ऊखडी पडवुं = गुस्सा हो
जाना. ]
ऊखडेल वि० गुमराह; बहका हुआ ऊखर वि० रेहुआ (२) स्त्री० ऊसर ऊखळ न०, ( -ळी) स्त्री०, ( - ळु ) न०, ( को ) पुं० ऊखल; ओखली
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ऊ
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ऊघडबुं
उंबर पुं० उदुंबर; गूलर उंबरं न० गूलर (फल) उंबरो पुं० उदुंबर; गूलर उंबरो पुं० लकड़ी ; देहली
उंबी स्त्री० ऊमी; जौ-गेहूँकी बाल
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चौखटकी नीचेवाली
ऊगट स्त्री० खड़े पहियेके आगे या पीछे रखी जाती आड़ ; टेउकी ( २ ) उबटन; बटना ऊगटो पुं० देखिये 'ऊकटो ' ऊगम पुं० उगना; उदय (२) उत्पत्ति
स्थान; उद्गम (३) शुरू; आरंभ ऊगरवुं अ० क्रि० उबरना; बचना (२) बाकी रहना
ऊगवुं अ० क्रि० उगना; अँखुआना; ( बीजका) अंकुरित होना ( २ ) ( सूर्य, चंद्र ) उगना; उदय होना (३) (मनमें) उठना; उपजना ( ४ ) फलदायी होना; परिणाम आना [ला. ] । [ ऊगता सूरजने पूजवुं = उन्नतिशील पक्ष में रहना; लाभकी ओर जानेकी वृत्ति रखना । ऊगवुं तेनुं आथमवुं = सुबह से शाम तक परिस्थिति में कोई फ़र्क़ न आना; सावन हरे
भादों सूखे । ऊग्या आयम्यानी खबर - दुनियादारीकी समझ या खयाल ; सामान्य समझ. ]
ऊघडवं अ० क्रि० उघड़ना; खुलना (२) खिलना ( फूल, कली ) ; ( नसीब ) खुलना [ला. ] ( ३ ) ( रंग, आसमान इत्यादि) निखरना; साफ-स्पष्ट होना