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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साचन स० क्रि० सीना; टाक लगाकर जोड़ना; सिलाई करना । सासको पुं० देखिये 'सिसकारों' सीसपेन स्त्री० पेंसिल सीसम स्त्री० न० सीसम (पेड़,लकड़ी) सीसापेन स्त्री० पेंसिल सीसी स्त्री० शीशी; बोतल सीतुं न० सीसा (धातु) सीसो पुं० शीशा; बड़ी बोतल सींग स्त्री० देखिये "शिंग'; फली.. सींचणियुं न० पानी सींचनेका पात्र या साधन (२) कुएं में से पानी निकालनेकी रस्सी; लेजुरा; नेजु; उबहन सींचा स० क्रि० देखिये 'सिंबवू'। खींचामो पुं० बाज (पक्षी) . सीवरी स्त्री० नारियलकी रस्सी सुम० सुन्दर; उत्तम उदा० 'सुकेली; सुवास' (२)भलीभांति;खूब पूरे तौर पर; उदा० 'सुरक्षित; सुसेवित' (३) सहज, अनायास ; उदा० सुकर सुलभ' सुकतान न० देखिये 'सूकगळु' सुकलकसी वि० सूखकर कांटे-सा बना हुआ; सुखंडी;क्षीणकाय [सूखा सुकवनी स्त्री० सुखाई हुई चीज(२) सुकवचं न० काफ़ी बारिश न होनेसे खेती आदिका सूख जाना; सूखा सुकान न० पतवार; सुक्कान; कर्ण सुकानी पुं० पतवार पकड़नेवाला; कर्णधार [चीजको सुखाना सुकाव स० क्रि० सुखाना; गीली सुकावं अ० क्रि० शुष्क होना; सूलना (२) (शरीर) दुबला होना; सूखना सुकाळ पुं० सुकाल; सुमिन (दुभिक्षका उलटा) (२)भरमार, अधिकताला.] सुतर स्त्री. चंदन (वृक्ष, लकड़ाया लेप); संदल [हलवाई सुखरियो पु० मिठाई बनानेवाला; सुलग स्त्री० पी और गुड़में गेहको आटा सेंककर बनायी हुई एक खाच चीज़; जमी पंजीरी जिसमें धनिया, सोंठ आदिका योग नहीं रहता (२) मिठाई (३) दस्तूरी; हक; बल्शिश । [-आपकी = भेंट · या दस्तूरी देना। -कापवी=बेचे हुए मालकी कीमतमें से दस्तूरीके स्पमें कुछ रकम काटना; दस्तूरी काटना। -जमावी = मार मारना; हलवा निकाल देना. . . . . . सुल वि० सुखी; सुखमें मग्न सुखतळी स्त्री० सुखतला; पाताया सुखक, सुखायी, सुखदेव वि० सुखदायक; सुख देनेवाला .... सुखधाम वि० सुखके धामरूप; सुखद (२) जो स्वयं सुखमय हो; सुबर्षम (३) न० सुखका धाम; सुखधाम, सुखन पुं० सुखन; सुखुन; वचन; उक्ति । [ब सुलन कहेवा = सिफ़ारिश करना(२)सीख देना(३)उलइना देना. सुखपाल स्त्री० एक प्रकारकी पालकी; सुखपाल [चैनसे; सहीसलामत सुखरूप वि० (२)अकुशल-क्षेमपूर्वक सुखरेच पुं० मंद रेघन या जुलाब सुखवेल स्त्री० एक तरहका बढ़िया धान सुखपूर्व वि० सुखोपभोगमें शूर सुखसगेवर स्त्री०; नम्ब०व० आराम और अनुकूलता; ऐशोआराम; सुख और सुभीता सुखांकारी स्वी० सुली हालत, सा (२) तंदुरुस्ती; सुख-स्वास्थ्य For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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