SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 477
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ૪૬૭ - राल = कहा मान लेना; बात रखना । - सांभळवूं = उलहना या ताना सुनना ; फटकारा जाना; सुनना. ] वेणि (-णी) स्त्री० बालोंकी चोटी; वेणी (२) जूड़ेमें खोंसनेका फूलोंका गजरा वेणु (०का) स्त्री० वेणु; बांसुरी वेत (वॅ) पुं० उपयुक्त काल; मौक़ा (२) व्यवस्था; प्रबंध; ब्योंत वेतन न० वेतन; तनख्वाह वेतर न० एक-एक बारका जनन; बियान । [-आवबुं, वेतरे आवबुं = पशुकी मादाका गर्भाधानका समय होना. ] वैतरण स्त्री० (कपड़ेको) ब्योंतना (२) जरूरी इंतजाम, प्रबंध (३) सजा [ला.] - बेतर स० क्रि० कपड़ेको सिलाईके = लिए काटना; ब्योंतना ( २ ) जरूरी इंतजाम करना (३) [ला.] बिगाड़ देना; चौपट कर देना; गुड गोबर कर देना । [ओं वोड वेतरबुं - कुछका कुछ कर डालना; बिगाड़ देना; औरका और या उलटा कर देना. ] बेता पुं० ब० व० समझ ; सयानापन; होशियारी (२) सलीक़ा ; शऊर ; ढंग वेद पुं० वेद; ज्ञान (२) यथार्थ ज्ञान; वेद (३) आयका सबसे प्राचीन धर्मग्रंथ; वेद ( ४ ) चारकी संख्या; वेद । [ -भगवा = वेदाध्ययन जैसा भारी काम करना. ] वेदियं वि० वेदज्ञ; वेद पढ़ा हुआ ( २ ) [ला. ] व्यवहारशून्य पंडित । [ डोर : पोथी पंडित; जो पंडित हो मगर व्यवहारदक्ष न हो; कोरा पंडित. ] वेध पुं० वेध; छिद्र; बेध (२) दोष; पाप (३) जख्म ; वेघन; वेध (४) बेघना; छेद करना; वेष ( ५ ) ग्रहों Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वैरागी आदिकी गति, समय आदिका पर्यवेक्षण, निरीक्षण (६) सुतार या राजके काम शास्त्रीय दोष (७) सूर्यग्रहणके पहलेके चार और चन्द्रग्रहणके पहलेके तीन पहरके सूतकका समय (८) द्वेष ; डाह [ला. ] वेधन न० वेधन; छेद करनेकी क्रिया; बेघना (२) छेद करनेका औजार; वेधनी वेधमी स्त्री० मोती, रत्न आदिमें छेद करनेकी बरमी; वेघनी ( २ ) हाथीका अंकुश; वेधनी वेषवं स० क्रि० छेद करना; छेदना; बेघना (२) बींधना ; बेघना ; चुभाना वेधशाला (-ळा) स्त्री० वेधशाला; जंतर-मंतर [ जैसा कोई वाहन वेन (वॅ) न० बहना ( २ ) बैलगाड़ी वेपार (वॅ' ) पुं० व्यापार; व्योपार । कामकाज [-मांडवी = संसार-व्यवहार चलाना.] वेपाररोजगार (वॅ) पुं० व्यापारका [ धंधा - रोजगार बेपारवणज (वॅ') पुं० बनिज-व्योपार; वेपारी (वॅ) पुं० व्यापारी; ब्योपारी वेर (वें) न० बैर; शत्रुता ( २ ) द्वेष; बेर; बुराई । [ -लेवं, वाळवं = बेर लेना; बदला लेना. ] वेरणले (-छे ) रण वि० तितर-बितर; अस्त-व्यस्त छिन्न-भिन्न वैरभाव (वॅ) पुं० शत्रुभाव; द्वेष; बैर वेरी (वॅ) पुं० बेरी; शत्रु वेर स० क्रि० चीजोंको तितर-बितर करना; बिखेरना (२) फैलाना; छिटकाना; बिखेरना (३) [ला.] खूब पैसे खरचना बेराग (वें) पुं० वैराग्य; बैराग वेरामी (वॅ) पुं० बैरागी; बाबा For Private and Personal Use Only • -
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy