SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३१ आंगळी-देखामणुं = उँगलियों पर नचाना। -यी नख वेगळा = नख और उँगली साथमें होते हुए भी अलग हैं ऐसा भेदभाव । -ना वेढा पर,-ने टेरवे होवं = बराबर ज़बानी होना; ज़बान पर होना.] आंगळी-देखामj(०) न० अंगुश्तनुमाई; फ़ज़ीहत; बदनामी आंगळु (०) न० देखिये 'आंगळी' आंगी (०) स्त्री० दूल्हेको ननिहालकी ओरसे मिलनेवाला बिना तुरपा हुआ कोरा वस्त्र (२) देवीकी मूर्तिके बदले रखी जाती रंगबिरंग धातुओंके पतरेकी तख्ती (३) हनुमानकी मूर्ति परकी तेल और सिंदूरकी परत (४) मूर्तिकी सजावट (जैन) (५) धूलकी आँधी आंग्ल वि० अँगरेज़ संबंधी आंग्लदेश पुं० अँगरेज़ोंका देश; इंगलैंड आंच (०) स्त्री० आँच; ज्वाला (२) तेज; दीप्ति (३) रोब (४) धमकी (५) चोट। -आववी = आँच आना; ईजा पहुँचना । -लागवी जलना.] आंचकवू(०) स० क्रि० जोरसे एकदम खींचता हिचकी आंचकी (०) स्त्री० नसोंका तनाव (२) आंचको(0) पुं० देखिये 'आचको' आंचळ (0)पुं० (मादा पशुका लंबा थन आंचळी स्त्री० अंचल; वस्त्रका छोर आंजण(०)न०आँजन;अंजन(२)भरमाना आंजणी(०) स्त्री० अंजनी; बिलनी; अंजनहारी आंजवं(0) सक्रि० आँजना; आँखमें लगाना (२)तेजकी प्रखरतासे आँखें चकाचौंध हो जाना (३) चकित कर देना; प्रभाव डालना [ला.] आंतरसो आंट(०) स्त्री० आँट; उलझन; गुत्थी (२) कीना; बैर; आँट (३) लेन-देन संबंधी एतबार; साख; प्रतिष्ठा (४) हथौटी (५) हाथकाममें या बोलनेलिखने में तेजी (६) अँगूठे और तर्जनीके बीचकी जगह; आँट (७) निशानेबाजी; निशाना बाँधनेकी कुशलता। [-जवी, तूटवी= साख जाना; बेइज्जत होना.. आंटण (०) न० घट्ठा (चमड़ी परका) आंटq(०) सक्रि० निशाना बाँधना (२) आगे निकल जाना; बढ़ना आंटी(०) स्त्री० आँटी; गाँठ; उलझन (२) सूतकी आँटी ; लच्छी (३) कीना; आँट [ला.](४) फंदा; पेच; प्रपंच (५) समस्या; मसला (६) साख; आबरू आंटीटी (०) स्त्री० आँट-साँट; दाँव__ पेच (२) छल-कपट आंटो(०) पुं० बट; लपेट; पेच (२) धक्का; चक्कर (३) कट्टर बैर आंटोफेरो(०) पुं० चक्कर और फेरा(२) कामके लिए इधर-उधर आना-जाना आंतरडी(०) स्त्री० दिल; जी आंतरडुं(०) स्त्री० आंत; अंतड़ी । [आंतरडां ऊंचां आववां, गळे आववां = आंतें गलेमें आना; अधिक श्रम पड़ना। आंतरडांनी सगाई = सच्ची सगाई; नाभि-संबंध.] आंतरवं (०) स० क्रि० (बाड़ या परदेकी आड़ बनाकर) अलग करना (२) घेरना (३) रास्ता रोकना आंतरसी (-से) वो, आंतरसो (०) पुं० __ अंदरकी सिलाई; सिया हुआ कपड़ा ठीक नापका हो इस वास्ते अंदरसे टाँके देना; पलेट; पट्टी For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy