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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३० आंको पहचाननेके लिए शरीर पर चिह्न अंकित करना;दागना (५) खास कामके लिए नाम-निर्देश करके कुछ फंड या रक़म अलग रखना; 'इयरमार्क' [ला.] आंको (०) पुं० निशानीकी रेखा;चिह्न (२) अंदाज़ा; अंकाई (३) हद ; औचित्यकी सीमा आंकोशियां (०) न० ब० व० पसलियाँ (२) बेहद कोशिश (३) इससे पैदा होनेवाला हाँफा आंख (०) स्त्री० आँख (२) [ला.] देखनेकी ताक़त; नज़र (३) निगाह; ध्यान; देख-भाल (४)(किसी चीज़का आँख जैसा)छिद्र;छेद;नाका(५)बीजकी गाँठ परकी नोक ( ईख आदिकी)। [-आडा कान करवा = सुनी अनसुनी करना। -आववी = आँख आना (२) पशुके बच्चोंकी आँखका काम करनेके काबिल होना ।-ऊंची करवी काममेंसे निगाह दूसरी ओर ले जाना (२) गुस्सा होना (३) (बीमारका) आँख खोलना। -चोळतुं रहेवू, चोळीने रहेवू = हार या थककर रोते रहना; लाचार बनना। -ठरवी = कलेजा ठंडा होना (२)पसंद आना। -तळे काढवं = देख लेना; नज़र डालना। -फोडवी = आँखें फाड़कर निकम्मी चीजको देखना या पढ़ना (२) आँख फोड़ना । -मां आंगळीओ घालवी =(दूसरेको) नापसंद हो या उसे परेशान करे ऐसा उसके देखते हुए करना । -मां आंजq = नज़र बाँधना ; भरमाना (२) दूसरेको उसके रूप, गुण आदिकी कमीके बारेमें लज्जित करना। -मां कमळो होवो आंगळी ___= (मनके किसी कारणसे) जैसा हो वैसा न दिखाई देना या न समझना; आँखोंमें पीलिया होना । आंखे पाटा बांधवा = अक्लका चरने जाना (२) भरमाना; धोखा देना । (ऊडीने) आंखे बाझवू = खूब सुंदर होना। आंखो बोचीए आववी = थककर चूर हो जाना. आंखढांकणी (०) स्त्री० बैल या घोड़ेकी आँखों पर लगाये जानेवाले ढक्कन; अँधोटी; अनवट आंखम (-मि)चकारो(०) पुं० निमिष; पलकोंका गिरना (२) आँख मारना; आँखसे किया हुआ इशारा आंखमि (-मी)चामणां(०) न०ब०व० आँख-मिचौनी; लड़कोंका एक खेल (२) देखा अनदेखा करना (३) इशारा (आँखसे) आंगडी (०) स्त्री० छोटा अँगरखा; झगा आंगण, (-j) (०) न० आँगन; सहन आंगमण (०) स्त्री० ज़ोर (२) देखिये 'आगमण' आंगलं (०) न० झगा; छोटा अँगरखा आंगळ (०) न० अंगुल ; उँगली (२) उँगलीके जितनी लंबाई; अंगुलमान (३) दशकी संज्ञा आंगळियात, आंगळियु (0) वि० (२) न० पहले खाविंदका पुत्र या पुत्री आंगळी (०) स्त्री० अँगुली; उँगली । [-आपतां पहोंचो पकडवो, पहोंचे वळगवं = उँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना । -करवी% इशारा करके उकसाना; चिढ़ाना; छेड़ना (२) उँगलीसे दिखाना (३) बदनाम करना; उँगली उठाना । -पर नचाववं For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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