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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पिडी ४१४ समाप संपती स्वीखेतकी बेकार घास निका- -राखवी रिवाजके अनुसार बरतना लानेका खेतीका एक औजार; गहनी (२) संसारका व्यवहार निबाहना; राप, स० क्रि० खेतकी घास निकालनेके लेन-देनमें ईमानदार रहना.] लिए गहनी चलाना [रापी;रापी रीतभात स्त्री० रहन-सहन; व्यवहार; रापी(०) स्त्री० मोचीका एक औज़ार; चाल-ढाल रिक्षाव स० क्रि० देखिये "रीझव' रीतरिवाज पुं० ब० व० रीति-रिवाज रिझा, अ० क्रि० देखिये रीझ' रीतसर अ० रीतिके अनुसार रिपोर्ट पुं० रिपोर्ट रीते अ० तरह; प्रकार (२) की रिवामण (-जी) स्त्री० यातना; पीड़ा हैसियतसे(३)रिवाज या प्रथाके अनुसार रिबावq सक्रि० 'रीबवु'का प्रेरणार्थक; रीबवं स० क्रि० सताना; खूब दुःख देना दारुण यातना पहुंचाना; खूब दुःख देना रीम न० बीस दस्ता (काग़ज़); रीम रिबाबु अत्रि 'रीब'का कर्मणि खूब रील स्त्री० न० डोरे लपेटी हुई गराड़ी; सताया जाना; अति पीड़ित होना रील (२) सिनेमाके चित्रोंकी लंबी पट्टी रिवेट पुं० धातुकी चद्दर या टुकड़ोंको रीस स्त्री० रिस; रीस; क्रोध; रूठन जोड़नेवाली कील जो एक सिरे पर रोंगण न० बैंगन; भंटा माथेदार होती है; टाँका । रोंगणी स्त्री० बैगनका पौधा; बैंगन रितामणुं वि० बात-बात पर रूठनेवाला; रिसहा (२) न० रीस; रिस । रोंगणुं न० बैंगन ; भंटा [रिसामणां मनामणां करवा = ज़रा रीछ न० रीछ; भालू जरामें रूठना और जरा-जरामें मनाना.] रुआब पुं० रूआब; दबदबा (२)तेज; रिसावू अ० क्रि० रिसाना; रूठना प्रताप; रोबदाब। [-करवो रोब रिसाळ (0) वि० रिसहा . जमाना। -पडवो = रोब जमना; रोबमें आना। -राखवो = ठाटबाटसे रीझ स्त्री० आनंद; रीझ रीशववं स० क्रि० रिझाना रहना या बरतना. .. रीझवू अ० क्रि० रीझना; प्रसन्न होना रमाबदार वि० रोबदार; प्रभावशाली रीढं वि० उपयोगमें आकर मजबूत बना रुकावट स्त्री० रुकावट ; अवरोध हुआ (मिट्टीका पात्र); पक्का (२) रुको पुं० रुक्का; छोटी चिट्ठी; पुर्जा दुःख सहकर धीर बना हुआ; दृढ़ रुख पुं० रुख ; गाल (२)चेहरा; मुख; (३) जो न सुधरे; चिकना घड़ा शकल (३)पक्षपात; मनका झुकाव रीत (त,) स्त्री० रीत; रीति; प्रकार; दखसत (-)स्त्री० रुखसत; बरतरफ़ी ढंग; तरीका (२) रिवाज; चलन; व अ०क्रि० रुचना; पसंद आना परिपाटी; रीति; पद्धति (३) दहेज रुचि स्त्री० रुचि; इच्छा (२) भूख; आदिके लेन-देनकी प्रतिज्ञा; ठहरोनी।। खानेकी इच्छा; रुचि [-मारहे = रूढिके मुताबिक़ चलना; । हषिमंग पुं० सुरुचिभंग लोकाचारके अनुसार चलना। समाव सक्रि० रूझवु' का प्रेरणार्थक For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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