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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४०५ रमरमाव स० कि. जोरसे मारना रमवं म० क्रि० खेलना (२) मानंद मनाना; चैन करना(३)सदा मनमें या स्मृतिपट पर रहना; मनमें घूमनाफिरना; रमना; उदा० 'वात रम्या करवी' (४) काम-क्रीड़ा करना; रमना (५) करतब या खेल-तमाशा करना; खेलना (नट, भाड़ आदि) (६) कोई खास खेल खेलना (ताश, शतरंज आदि) (७) लाड़ करना। [गव रमवो =युक्ति करना; दावें खेलना या पैतरा रचना । राम रमी जवा = मौतके मुंहमें जाना; शामत आना; संकट आ पड़ना। रमी रहेवं, रम्या कर हमेशा व्याप्त होना; न भूलना; रमना.] रमा सक्रि० 'रमका प्रेरणार्थक; । खेलाना (२) नचाना; ठगना [ला.] रमूज स्त्री० मनोरंजन; मजा; हँसीविनोद; कौतुक (२) हंसी; मजाक रमजी वि० विनोदप्रिय; मजाक-पसंद; हसोड़, मजेदार (२) आनंदी रबई स्त्री० रई; छोटी मयानी रवरवं अ० क्रि०भटकना । [रवडी जर्बु, रवी पडq=बेकार घूमते रह जाना; कामयाब न होना; कुछ ठिकाना न होना; छूटना (नौकरी आदि).] रवरव अ० छरछरछरछराहटके साथ (पीड़ा होना) रवरव अ०क्रि० छरछराना (पीड़ा) रवरवाट पुं० धावमें नमक या खार लगनेसे होनेवाली पीड़ा; छरछराहट रवानगी स्त्री. रवाना होना; बिदा; रवानगी (२) उस वक्त दी हुई भेंट; बिदाई (३) दूसरे गांव रवाना करना, भेजना रवाल स्त्री० घोड़े या बैलकी एक प्रकारकी चाल; दुलकी; रहवाल रवी पुं० वसंत ऋतु या उस ऋतुकी फसल; रबी; चैती । रवीपाक पुं० रबी; चैती (फ़सल) रवेश पुं० वालाखानेका बरामदा बारजा (२)रिवाज प्रथा;रविश [ओसारा रवेशी स्त्री० मकानका बरामदा; रवंयुं न० बहुत छोटा बैंगन (२)ऊपरसे थोड़ा चीरकर, अंबर मसाला भरकर पकाया हुआ शाक .. [रई रवैयो पुं० दही मथनेका डंडा; मथानी; रवैयो पुं० रवया; चलन; प्रथा रवो पुं० रवा; सूजी (२) चांदी आदिका दाना; रवा(३)गुड़की भेली;पारी ठोंका रशियन वि० रूसी (२)पुं० रूसनिवासी (३)स्त्री० रूसी भाषा रशिया पुं० रूस (देश) रसपुं० रस; स्वाद (२)खाये हुए अन्नका प्रथम परिणाम;शरीरकी सात धातुओंमें से पहली धातु; रस (३) काव्यका रस, आनंद (४)आनंद;प्रेम; रस (५) जिद; होड़; ममत्त्व (चढ़ना) (६)तरल पदार्थ;रस (७) फलों या वनस्पतियोंका जलीय अंश ; रस (८)सार;सत्त्व (९) गुण ; फायदा; नफ़ा; रस (१०)सोना, चाँदी आदि धातुको गलाकर बनाया हुआ रस (११)पारा; रस (१२)धातुओंको फूंककर तैयार किया हुआ भस्म; रस। [-आवयोमजा, रस आना। -उतारवो% (हायसे) पीटकर गुस्सा ठंडा करना;पीटनेको इच्छा पूरी करना (२)व्यर्थ चक्कर काटकर लौट आना (३) बहुत देर तक खड़ा रहना (४) जवानदराजी करना; जवान For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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