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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रताश रता स्त्री० ललाई; लाली; सुर्जी रताळुन एक कंद रतालू [रतौंधिया रतांधळं वि०रातके समय नहीं देखनेवाला; रती स्त्री० गुंजे जितना कद या वजन; रत्ती २)एक वजन जो तोलेका ३२ वा हिस्सा होता है रतीपूर, रतीभर दि० रत्तीके जितना; रत्तीभर (२)जरासा; रत्तीभर रतुंबई, रतूमडं वि० रतनारा; ललछू; किंचित् लाल; राता रत्न न० रत्न (२)अपने वर्ग, जातिमें उत्कृष्ट वस्तु या व्यक्ति; रत्न;अग्र (३) समुद्रमंथनसे निकले हुए चौदह रत्न । रक वि० रद्द निकम्मा;काटा-छाँटा हुआ रखबातल वि. निकम्मा; रद्द रदियो पुं० कही हुई बातको रद्दनिकम्मी साबित करनेवाला प्रत्युत्तर; खंडन; रद्द करना रही वि० रद्दी; निकम्मा; बेकार रपाटी स्त्री०,(-टो) पुं० चक्कर; फेरा (२) तेज़ दौड़; रपट (३) थका डालना; रगड़ना रपेटQ स० क्रि० खूब तेज दौड़ाना; खदेड़ना (२) बहुत श्रम कराकर थका डालना; रगड़ना रपेटी स्त्री०, (-रो) पुं० देखिये ‘रपाटी'। [-मां लेबु काममें बहुत जोतना; थका डालना; रगड़ना.] रफते रफते अ० रफ्ता-रफ्ता; धीरे-धीरे रफ वि० रफूचक्कर; गायब रफुचक्कर वि० गायब; रफूचक्कर रफेरफे ब० अस्तव्यस्त; तितर-बितर रबडी स्त्री० रबड़ी; बसौंधी रबर न० रबड़, रबर रपारी पुं० ग्वाला; अहीर रबर(-२) न० रबर; रबड़ रमकई न० खिलौना रमसाण न० हुल्लड़; दंगा; मारपीट रमवी(-जी) स्त्री० हिरमजी रमझट स्त्री० सपाटा; तेजी; झड़ी रमण पुं० रमण; कान्त; पति (२)न० खेलना; विलास; रमण; क्रीड़ा। [रमणे पर = खेलके पीछे पागल होना (२) (पागल बने इतनी हद तक) जोशमें आना.] रमणबुझारु न० मिट्टीका मोटा ढक्कन (२) उसके जैसी बेढंगी, भद्दी कोई चीज [ला.] [वितर रमणभमण अ० अस्तव्यस्त; तितररमत स्त्री० खेल; क्रीड़ा; मनोरंजन (२) खेलनेकी रीति, ढंग। [-करवी =कामकी तरह काम न करके सिर्फ उसके साथ खेलना। -रमबी = खेलना; क्रीडा करना (२) दावं डालना; खेल खेलना; चाल चलना (३) युक्तिपूर्वक छलना; दगाबाजी करना.] [क्रीड़ा; मनबहलाव रमतगमत स्त्री० तरह-तरहके खेल; रमत वात स्त्री. बिलकुल आसान चीज़ या काम; बायें हाथका खेल रमताराम पुं० एक जगह स्थिररूपसे न रहनेवाला;रमताराम;उठल्लूका चूल्हा रमतियाळ वि० खेलकूदमें मग्न रहनेवाला; खेलवाड़ी; खिलंदरा रमतं वि० खेलता हुआ (२) बंधनरहित; छुट्टा; मुक्त (३) कुशादा; विस्तारवाला; खुला (४) जो चुस्त न हो; ढीला। [-रहेवं = छुट्टा या डीला रहना। -राल %झांगला रखना; तंग न रखना.] For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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