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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५८ भान मान्य विटूटा-फूटा(२)जो लगा- भाषियो पुं० देखिये 'भाणेज '(२)वह तार न चले;कुछ बन्द, कुछ रुका हुना चीज़-सौग्रात जो कठिनाई शेलकर भी माम्ये ज. कदाचित्; शायद । साथमें लाई जाय [ला. भाजी स्त्री. भाजी; साग - भाणी स्त्री० भानजी भाजीखाउ वि० साग खानेवाला (२) भाणु न० परोसी हुई थाली। [भाणामां [ला.] बेदम; शक्तिहीन; मूंगकी धूळ नाखवी= खाना खराब करना; दाल खानेवाला लगी रोजी बिगाड़ना। मांग्= खाना भाजीपालो पुं० सागपात; तरकारी परोसना (२) खाना खाने बैठना.] भाजीमूळापुं०५० २० मूली और उसकी भाणेज पुं० भानजा तरकारी (२) गाजर-मूली; नगण्य चीज़ भाणेजी स्त्री० भानजी [ला.] [(२)[ला. चापलूस; भाट भाणो पुं० भानजा भाट पुं० भाट जातिका आदमी; भाट भात (त,) स्त्री० बेल-बूटेदार चिह्न, भाटाई स्त्री भाटका काम या पद(२) निशान; छाप(२)तरह; प्रकार; भांति । भाटपन; चापलूसी; भटई। [-पाडवी = किसी वस्तुकी छाप, भाठ स्त्री०,(-3) न० चमड़ी छिलनेसे चिह्न, आकृति आदि उतारना; छापना हुजा छोटा जख्म; रगड़ (२) अलग व्यक्तित्व होना; प्रभाव, मा न० नदीके किनारेकी बलुई-रेतीली सिक्का जमाना (३) उलहना, ताना, भूमि; भाठ (२) नदी आदिमें छिछले निंदा आदिसे अपमानित करना या पानीवाली जगह इक्जत बिगाड़ना.] भाई न० (चमड़ीकी) रगड़ (२) कपड़े भात पुं० पकाये हुए चावल;भात (२) पर पड़ा हुआ चिकटा दाग़; घब्बा कलेवा; छाक (काम करनेकी जगह भाड स्त्री० भाड़(२) भड़भूजेका भूननेका पर ले जानेकी) (३)पुं० ; न० धान बर्तन भातभात वि० भाँति-भाँतिका; तरहभार जो पुं० भड़भूजा तरहका भावात पुं० देखिये 'भाडूत' भातीगर(-ळ), भातील वि० रंगबिभाडाखत न०, भााचिठ्ठी स्त्री किरा- रंगा; भाँति-भांतिका; तरहदार यानामा; सरखत भातुं न० मुसाफ़िरीमें साथ लिया जानेभाई न० किराया; भाड़ा। [भाडानी वाला भोज्य पदार्थ पाथेय;संबल;तोशा "बहेल = भाडेका टट्ट.] भाषून० देखिये 'भातुं' भाजूत पुं० किरायेदार भायुं न०,(-घो) पुं० भाथा; तरकश भारूती वि० किरायका; भाडेका(२) (२) भाथी; चमड़ेकी धौंकनी पैसेकी खातिर काम करनेवाला; भावरवो पुं० भादोंका महीना; भादों भाडेका टट्ट ... " भान न० चेतना; होश (२)स्मरण;स्मृति भाणावहेवार पुं० एक पंक्तिमें साथ बैठ- (३)समझ ; अक्ल ; बुद्धि (४)खयाल; कर भोजन करनेका संबंध रोटीव्यवहार भास (५) सँभाल ; देखभाल [-आव, For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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