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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org परल परानुं स० क्रि० परीक्षा करना; परखना ( २ ) पहचानना; जान लेना परला स०क्रि० 'परखवं', 'पारखवं' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; परखाना (२) [ला.] देना (३) सचेत करके सौंपना; सहेजना (४) समझाना; समझे ऐसा करना परलाबुं अ०क्रि० 'परखबुं', 'पारखवं' क्रियाका कर्मणि रूप; परखा जाना ( २ ) विवाहके लिए दुल्हेके रूपमें पसंद आना [ला. ] परगनु वि० परोपकारी; परहित परगणुं न० परगना; तहसील परवाम न० दूसरा गाँव परगामी वि० अन्य गाँवका रहनेवाला (२) अनजान (३) तटस्थ [ला. ] परचूट (-र)ण वि० विविध; फुटकर (२) न० खुर्दा रेजगारी [ चमत्कार परचो पुं० प्रतापका प्रमाण; पश्चा; परछंड वि० क़द्दावर; बड़े डील-डौलका परजळं अ० क्रि०प्रज्वलित होना; जलना परजीवी वि० परोपजीवी परंठ (०ण) स्त्री० क़बूलत; करार ( २ ) दहेज; दायजा [ क़रार करना पर स० क्रि० तय करना; ठहरामा; परस्त्री० माथापच्ची (२) बला; झंझट । [-मूकवी = माथापच्ची छोड़ देना; सिर खपाना छोड़ देना. ] परकुं ( - ) न० सँपोला ; पोआ परडियो, परडो पुं० बबूलकी फली; सेंगर परन न० व्याह; शादी ; परिणयन (२) ब्याहकी तीव्र इच्छा [ला.] परणवं स०क्रि० व्याहना; शादी करना परमायुं न० छोटा सकोरा (२) मिट्टीका दिया; दिउला २९२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परवीडि परणावयुं स०क्रि० ब्याह करना; 'परणवु का प्रेरणार्थक रूप; ब्याहना [ प . ] ( २ ) दूधमें पानी मिलाना [ला. ] परणियत वि० परिणीत; विवाहित (२) स्त्री० ब्याहता औरत; पत्नी परणेत (०९) न० ब्याह ; शादी ( २ ) स्त्री० ब्याहता; पत्नी परणयुं न० देखिये 'परणायुं' परण्यो पुं० ब्याहनेवाला; पति परत अ० वापस ( आना, देना, करना) (२) स्त्री० बारीक चूर्ण; फंकी, भस्म आदि । [ - करवुं = लौटाना; वापस करना.] परयार पुं० देखिये 'पडथार' परदादो पुं० परदादा; दादाका बाप परदेश पुं० परदेश । [ - खेडवो = कामवंघे के वास्ते परदेशमें जानेका साहस करना.] परवो पुं० देखिये 'पडदो' परनातीलं वि० अन्य जातिका; विजातीय परनार ( - री) स्त्री० अन्यकी स्त्री; परस्त्री परनाळ स्त्री०, ( -ं) न० परनाला परपोटी स्त्री० छोटा बुदबुदा या बुलबुला परपोटो पुं० बुदबुदा; बुलबुला (२) क्षणभंगुर वस्तु; बुलबुला [ला. ] । [-फूटवो = बाहरी तड़क-भड़क या दिखाऊ आयोजनका प्रकट हो जाता. ] परब स्त्री० प्याऊ; सबील; पौसला परबडी स्त्री० पक्षियोंको चुग्गा डालने के लिए एक ऊंचे खंभे पर बनायी हुई चारों ओरसे खुली छतदार बुर्जी; छतरी [ गये या रुके परवा अ० सीधा; बिना और कहीं परबीडियं न० लिफ़ाफ़ा (२) काजकी थैली. For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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