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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नालायकी नालायकी स्त्री० अयोग्यता नालेशी ( -सी) स्त्री० निंदा; बुराई; दगोई २७८ नाव स्त्री० नाव । [चलाववं, ठेलबुं गृहस्थी चलाना; घर सँभालना. ] - नावडी स्त्री० डोंगी; किश्ती ; छोटी नाव नावसुं न० छोटी नाव; डोंगी नावण (ना' ) न० नहान; स्नान ( २ ) - नहानेका पानी (३) रजस्वलाका सहाना; ऋतु-स्नान (४) रज; आर्तव नापणियं (ना) न० नहानेकी जगह; हम्माम : नावाकेफ वि० नावाक़िफ़ ; अनजान नाविक पुं० नाविक; माँझी (२) • कर्णभार; नाविक नावी: पुं० नाई; हज्जाम नाश पुं० नाश; संहार; बरबादी ( २ ) नुकसान; टोटा नाशवंत, नाशवान वि० नाशवान; नश्वर ; भंगुर [ नास; नस्य मास पुं० नाकसे धुआँ या भाफ लेना; मासतपास स्त्री० खोज; तलाश: छानबीन [ पाती नासपाती स्त्री०; न० एक फल; नाशनासंभाग स्त्री० भगदड़ नास अ० क्रि० दौड़ना ( २ ) भागना; पलायन करना (३) पीछे हटना; पिछलना । [ नासतां भोंय भारे पडवी = भागना मुश्किल हो जाना. ] नासानास (सी) ( स ) स्त्री० दौड़ा दौड़ी; दौड़धूप (२) भगदड़ नासि (सी) पास वि० निराश; मायूस ; नाउम्मेद [ रोग नासूर न० नाक और गले आदिका एक नास्तो पुं० नाश्ता; जलपान Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मांस नाहक अ० नाहक़; अकारण ( २ ) बिना हक़; अन्यायसे नाहकनुं वि० व्यर्थ; नाहक़ नाह (ना' वुं ) अ०क्रि० नहाना । [ नाही नाखयुं = - को खत्म, पूरा हुआ या मरा हुआ समझना (२) कोई आशा या रिश्ता न रखना ( ३ ) शोक या चिंता छोड़ देना. ] [ डरपोक नाहिमत वि० पस्तहिम्मत ; बेहिम्मत; नाळ पुं० नाल(घोडे, बैल, जूते आदिका ) नाळ पुं० लंबी, खोखली डंडी या नली; नाल ( २ ) ( गर्भस्थ शिशुका ) नाल; आँवल ( ३ ) स्त्री० सँकरा, तंग रास्ता या गली; गलियारा (४) नरिया खपरा (५) परनाला (६) बंदूककी नली; नाल नाळचं ( - बुं) न० एक सिरेसे बंद बाँसकी खोखली नली; चोंगा नाळियं न० सँकरी, तंग गली या रास्ता ; गलियारा [ 'नारियेळ' आदि नाळियेर, ( - री), (-री पूनम ) देखिये नाळो पुं० पानीमें होनेवाली एक बेल; प्रसारिणी लता; चंद्रपर्णा नांख (०) स०क्रि० डालना; फेंकना ; झिड़कना (२) दूर करना; बाजू पर करना; पड़ा रहने देना; छोड़ देना (३) रखन। ; धरना; डालना; उदा० 'घास अहीं नांखवानुं छे', 'तलवार पर हाथ नाख्यो (४) अंदर डालना, छोड़ना; उदा० 'गोळ नांखो तेटलं गळधुं थाय' (५) कारीगरके यहाँ चीज़ तैयार करानेके लिए सौंपना; दे आना; उदा० 'जोडा, कपडां वगेरे नाख्यां' (६) कर, जकात लगाना । [नांखी मूकवुं, राखवु = चीज खरीद For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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