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मातजात
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(२)
जातिवालोंको
जनसमुदाय दिया हुआ भोज । [-बहार मूकबुं = •बिरादरीसे खारिज करना; जातिच्युत करना. ]
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नातजात स्त्री० जात-पाँत नातरिपुं वि० जिसने करावा किया हो; करावा - संबंधी (२) जिसे करावा करनेकी छुट्टी हो (व्यक्ति, जाति आदि) (३) जो एक क़िस्मंका न हो; बेमेल नातरं न० नाता; संबंध; उदा० 'गाम नातरे भाई (२) बेवा या त्यक्ताके • साथ पुनर्विवाह; करावा; समाई (३) बेमेल जोड़ा (चीज) । नासरे जयं करावा करना; (किसीके ) घर बैठना । मातरे लावयुं = बेवा या त्यक्ताका पाणिग्रहण करना; घरमें डालना . ] नातबरो पुं० जाति-भोज नाताल स्त्री० ईसाई त्यौहार ; क्रिसमस नातील वि० जातिका; बिरादरीका नाम स्त्री० बैल वगैरहकी नाकमें पहनाई जानेवाली रस्सी; नाथ ( २ ) (नाककी) नथ (३) जमीनकी घुलाई रोकनेके लिए बांधी जाती मेंड़ ! बाँध ; पाल [ रस्सी; तभी नावनुं न० तराजूके पलड़े बाँधनेकी नाथ स०क्रि० (बैलको) नाथ पहनाना; नाथना ( २ ) बसमें करना; नाथना (३) चाल सिखानेके लिए फेरना; - सधाना ; निकालना
नाद पुं० नाद; घोष ; ध्वनि; आवाज (२) वाचा या वर्णोंके उच्चारणमें एक प्रकारका बाह्य प्रयत्न; नाद (३) [ला.] आदत; चसका (४) लौ; धुन; लगन (५) गर्व । [ -ऊतरबो = गर्व टलना, उतरना; घमंड चूर होना ।
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नाम
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-मां पड, -लागयो, नादे चडं : लत लगना; धुन सवार होना; लगन लगना.]
नादार वि० नादार; ग़रीब (२) जिसका दिवाला निकला हो या जिसने दिवाला निकाला हो; दिवालिया (३) पुं० दिवालिया [ दिवाला नादारी स्त्री० नादारी; ग़रीबी ( २ ) नानकडुं वि० नन्हा; छोटा नानखटाई स्त्री० नानखताई नानप (ना') स्त्री० कमी; क्षति; खोट (२) कुटुंबमें बड़े आदमीका न होना नानपण (ना) नं० बचपन; छुटपन नानम (ना) स्त्री० छोटापन; छोटाई (२) कमीनापन; ओछापन ( ३ ) कमी; खामी; क्षति (४) देखिये 'मानप' नं. २
नामुं (ना) वि० छोटी उम्रका; छोटा ; कमसिन (२) क़दमें अल्प; छोटा (३) हलका ; ओछा [ला. ] । [नाना बापनुं = हीन कुलका । नाने मोंए = छोटे मुँह.] नासूनं वि० मामूली; साधारण ; नाचीज नान्यतर वि० नपुंसक लिंगका [व्या. ] नापसंदगी स्त्री० नापसन्दगी ( २ ) मान्य न होना; मान्यता न देना [ संद नापास वि० देखिये 'नपास' (२) नापनाम न० नाम (२) ख्याति; नाम
(३) स्मारक; यादगार; नाम ( ४ ) किसी व्यक्ति, वस्तु आदिका संज्ञारूप शब्द संज्ञा; नाम । [ -करवं काढवु = ख्याति प्राप्त करना; नाम करना ( २ ) [ला.] बदनाम होना; नाम डूबना । —जवा देवुं = नाम न लेना; ( किसीसे) बहुत अधिक बचना; प्रसंग तक न छेड़ना । देवं,
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