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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org घोष घोष पुं० ऊंचाईसे वेगसे गिरनेवाला पानीका प्रवाह; प्रपात घोषमार अ० मोटी धारसे; मूसलाधार धोबण स्त्री० धोबिन; धोबन धोबी पुं० धोबी । [ जो कूतरो धोबी का कुत्ता; उठल्लू आदमी.] घोषं वि० ठोठ; बुद्ध (२) न० ईंट; रोड़ा घोवो पुं० मूर्ख व्यक्ति; बुद्ध धोम पुं० सूर्य (२) सूर्यकी तेज गरमी; तेज धूप ( ३ ) क्रोध । [ -धलवो = सख्त धूप पड़ना ( २ ) अतिशय क्रुद्ध होना. ] धोरणं न० मनका झुकाव ; प्रवृत्ति (२) (शालाका) दर्जा; कक्षा ; श्रेणी (३) पैमाना; प्रमाण (४) पद्धति; रीति; नियम घोरी वि० धुरीण; बड़ा; मुख्य (२) पुं० जोतने योग्य बैल; बुरीण ( ३ ) पुत्र धोरो पुं० छतकी मुंडेर; मुंडेरा; चबूतरेका तकिया (२) पेड़के चारों ओर वनाया जानेवाला मिट्टीका चबूतरा (३) खेतकी मेंड़ घोल (घॉ) स्त्री० धौल; तमाचा धोलाई स्त्री० देखिये 'धोवाई' धोवडामण न० धोनेकी उज्रत; धुलाई (२) धोनेके बाद बचा हुआ गंदा पानी धोवन [ उच्चत घोडामणी स्त्री० धुलाई; धोनेकी stasraj स० क्रि० धुलाना धोवरामण न० देखिये 'धोवडामण' धोवराव स० क्रि० देखिये 'धोवडावj' घोबाई स्त्री० धोनेकी उज्जत; धुलाई धोवाण न० (पानीसे मिट्टीका) घुल जाना; बहावका तोड़; दरेरा २६७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूजयं धोवायुं अ० क्रि० 'घोबुं' क्रियाका कर्मणि रूप; धुलना (२) (शरीर ) क्षीण होना; निचुड़ना बोबुं स० क्रि० धोना । [ धोई काढवं, नालबुं : | = सख्त मरम्मत करना; पीटना (२) पानी फेरना; निकम्मा कर देना (३) (वृत्तिको) मनमेंसे दूर करना (४) निंदा करना । घोई पीवुं = ( किसी चीज़ को ) निकम्मा घरा रहना ( २ ) सिर चढ़ना; कुछ न समझना . ] घोळ (घा) पुं०; न० गीतका एक प्रकार घोळवूं (धाँ) स० क्रि० चूना पोतना; सफ़ेदी करना । [ धोळी आवबुं = कार्य सिद्ध करना; प्राप्ति करके आना (२) (कटाक्षमें) कार्य-सिद्धि न होना. ] घोळाई (घाँ) स्त्री० चूना पोतनेकी मजदूरी; पुताई = घोळां (घाँ) न० ब० व० पके हुए बाल घोळं (घ) वि० सफ़ेद ; उजला । [बोळा उपर काळं करवुं = लिखना (२) atfat धब्बा लगना । धोळे बहाडे = दिन-दहाड़े ; खुले आम . ] घोळंघव, घोळंफक (ग), घोळंबल ( धाँ) वि० बिलकुल सफ़ेद घोंस ( धॉ०) स्त्री० हल्ला ध्राश (स) को पुं० घड़क; दहशत ध्रुजाट पुं०, ध्रुजारी स्त्री० कंप; थरथराहट; कँपकँपी जारी पुं० देखिये 'धुजारी' ध्रुजाव स० क्रि० कँपाना ध्रुसको पुं० रोदन; रुदन धूजव स० क्रि० कॅपाना; हिलाना धूजयं अ० क्रि० काँपना; थरथराना For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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