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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छार १८२ छळ० क्रि० भयसे चौंकना; चोंकना । मने (सच कहना)(२) हिम्मत बँधाना। छंछन्वंस० क्रि० छेड़ना; चिढ़ाना -ठोकीने कहे विश्वास और हिम्मछंटकाव पुं० छिड़काव तके साथ कहना छाती ठोककर कहना। छंटाव स० क्रि० छिड़कवाना -फूलवी आनंद या गर्व होना।-मां छंटा, अ० क्रि० छिड़का जाना (२) घालवं = छातीसे लगाना.] छींटे उड़ना; छींटोंसे तर होना; भीगना । छातीचलं वि० दिलचला; साहसी (३)गाभिन होना; भरना (गाय, भैंस छातीफाट अ० छाती फट जाय इस आदिका) तरह; हृदयपूर्वक छंद पुं० लत; टेव; व्यसन छातीभेर अ० हिम्मतसे (२) (खड़ी छवी, छंबीलंबि० मौजी; शौकीन ; छैला चढ़ाईमें) दम भर जाय इस तरह (२) अमुक चीजकी आदत रखनेवाला छा- वि० गुप्त; छिपा हुआ (२) शान्त; छाक पुं० छाक; नशा (२)मिजाज; [न जाने ऐसा; गुप्त अहंकार (३)स्त्री० दुगंध ; हीक छा-छपतुं(--) वि० छिपा हुआ; कोई छाकर्ट वि० शराब पीकर मदहोश बना छानुमान वि० गुप्त (२) छिपे-छिपे; हुआ; मतवाला; प्रमत्त चुप-चाप; चोरी-चोरी छाकटो पुं० शराबी छाप स्त्री० एक चीजका दूसरी पर दबछाकोटो पुं० झिड़की; लानत ; भर्त्सना नेसे पड़नेवाला चिह्न; निशान ; मार्का; छाछ वि० छिछला छाप (२)मुहर; ठप्पा (३)पतंगका छाज न० छप्पर पर अतरवन, बाँस, तस्ते यकायक गिरना (४) [ला.] मन पर या बल्लियों वगैरहसे किया जानेवाला पड़ा हुआ असर; कायम की हुई राय आच्छादन या ये सब चीजें; छाज; (५)छापनेकी सफ़ाई (६)प्रभाव;दाब छाजन [छज्जा (२)परछत्ती; टांड़ छापखानुं न० छापाखाना; 'प्रेस' छाजली स्त्री० अटारीकी पक्की छत; छापरी स्त्री० छपरिया; मड़ई (२) छाज, स० क्रि० लायक-काबिल होना ___ झोंपड़ी; घर [ला.] [झोंपड़ा (२)फबना; शोभा देना; छाजना; छापवं न० घरका छाजन; छप्पर (२) जेब देना (३.) ज्यादा समय टिकना छाप, स० कि० छापना [(२)ठप्पा छाजिन. शोकावेगसे छाती पीटना; छापुंन० दैनिक अखबार; समाचारपत्र पिट्टस [पाट; सिल्ली छापो पुं० छापा; धावा (२) छापेसे छाट स्त्री० पत्थरका लंबा-चौड़ा टुकड़ा; बनाया हुआ निशान; छापा (३) छाण न० गाय-भैसका मल; गोबर लाग; रसूम ; कर छाण, स० क्रि० बारीक छानना छाब (०डी) स्त्री०,(0) न० डलिया; छाणून० उपला; गोहरा छिछला, छोटा छबड़ा; दोरी छाती स्त्री०छाती; सीना (२)दिल (३) छार (छा') पं०; स्त्री० पजावेका चूरा हिम्मत ; जिगर ।[-उपर हाथ मूकबो (२)फफूंदी (३)धूल (४)छार; राख = छाती पर हाथ रखना-ईश्वरके सा- (५)चीज पर जमनेवाली पपड़ी For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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