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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org छपाट खुला; जाहिर । [ - राखबुं - वंशपरंपरा जारी रखना (२) सब अच्छी तरहसे संभालकर रखना. ] [ हुआ छतुंपाट वि० चित; पीठके बल फैलाया छते अ० रहते हुए; होते हुए छता ( - तुं) पाट वि० देखिए 'छतुंपाट' छत्र न० बड़ी छतरी ; छाता (२) राजचिह्नरूप छतरी ; छत्र (३) रक्षण करनेवाला; पालक [ [ला. ] छत्रछाया स्त्री० छत्रच्छाया (२) आश्रय छत्री स्त्री० छाता ; छतरी ( २ ) गाड़ी, पलंग आदिके ढाँचेके ऊपरका आच्छादन छतरी छत्रीश ( स ) वि० छत्तीस; ३६ छनाछनी स्त्री० बार-बार छन-छनकी आवाज होना (२) रुपये-पैसोंकी बाढ़ छ ( -श्रुं) वि० छानबे ; छियानबे ; छियानवे; ९६ [ मजदूरी; छपाई छपाई ( - मण, - मणी) स्त्री० छापनेकी छपाववुं स० क्रि० छपाना; छपवाना छपावुं अ०क्रि० छपना; छापा जाना (२) छिपना (३) (पतंगका) एकदम नीचे गिरना छप्पन वि० छप्पन; ५६ । [-उपर मूंगळी वागवी = बहुत मालदार होना (२) बिलकुल खयाल न रहना ; गहरी नींद सोना. ] छप्पन भोग पुं० छप्पन प्रकारकी रसोई जो ठाकुरजीके भोगमें लगती है छप्पनियो वि० पुं० विक्रम संवत् १९५६ का बड़ा अकाल [ छप्पय छप्पो पुं० छः चरणोंवाला एक छन्द ; छमछबाववुं स०क्रि० छपछपाना ( २ ) छपछपाकर कपड़ा घोना; छाँटना छबत वि० छिछला (२) गंदा; मैला १८१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छळबुं ( ३ ) न० विसावसे पतला बना हुआ पत्तर ( ४ ) गांजा हुआ काग़ज़का टुकड़ा छबरडो पुं० घोटाला; अव्यवस्था छबलीकां न० ब० व० झाल- झालर; झाँझ । [ -वगाडवां धनदौलतका नाश होना; रुपये पैसे से खाली होना. ] छब (बी) स्त्री० चित्र; तसवीर ( २ ) कांति; सौंदर्य; छवि छबीलुं वि० छबीला; सजीला छमकलुं न० नटखटी ( २ ) बखेड़ा; दंगा छमकार स० क्रि० 'छम' की आवाज करना; छनकाना [ छमाही छमासिक वि० छः महीने पर होनेवाला; छर पुं० उस्तुरा; छुरा ( २ ) मद; अहंकार ( ३ ) मस्ती; धुन । [ -ऊठवो, ऊडवो • उस्तुरेका चेप लगना. ] = = खरी स्त्री० छुरी; काता । [-ऊछळवी = छुरीसे मारकाट होना । —मूकवी छुरी फेरना ( २ ) पायमाल करना. ] छरो पुं० छुरा (२) खंजर (३) बंदूक़का छर्रा (४) बोल-बेरिंगमें काम आनेवाली लोहेकी गोली ; छर्रा छलक अ० छलकता हो इस तरह छलका अ० क्रि० छलकना (२) गर्वसे इतराना [ला. ] छलंग स्त्री० छलाँग; चौकड़ी छलाछल अ० लबालब ( भरा हुआ ) छलावुं अ० क्रि० देखिये 'छलकावुं' छलूडी स्त्री० छाली; कटोरी छलोछल अ० देखिये 'छलाछल' छवावुं अ० क्रि० छाना; घिरना; पसरना छब्वीश (स) वि० छब्बीस; २६ छळ पुं०; न० छल; धोखा ; झाँसा छळकपट न० छल-कपट ; झांसा-पट्टी छळ स० क्रि० छलना; ठगना For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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