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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अनुक्रमाङ्क विषय २४ मेघमुनि के तपः शरीर का वर्णन १५ मेघमुनि के संलेखना के विचार का वर्णन २६ मेघमुनि के संलेखना धारण करने का वर्णन २७ मेघमुनि की गतिका निरूपण २८ उपालम्भ का कथन दूसरा अध्ययन २९ राजगृह के जीर्णोद्यान का वर्णन ३० भद्राभार्या का वर्णन ३१ विजयतस्कर का वर्णन ३२ भद्रासार्थवाही के विचार का वर्णन ३३ भद्रासार्थवाही के दोहद का वर्णन ३४ देवदत्त दासचेटक का वर्णन ३५ धन्य सेठ का विजय चौर के साथ हडिबन्धनादिका वर्णन ३६ धन्यसेठ के मोक्षगमन को वर्णन ३७ श्रमणों के प्रति भगवान का उपदेश तीसरा अध्ययन Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समाप्त For Private and Personal Use Only पृष्ठाङ्क ५३१-५३७ ५३७-५४४ ५४४-५५४ ५५४-५६१ ५६२-५६५ ५६६-५७० ५७१-५७५ ५७६-५८७ ३८ तीसरे अध्ययन का उपक्रम ३९ मयूर के अण्डे का वर्णन ४० विजयदत्त और सागरदत्त के चरित्रका वर्णन चौथा अध्ययन ४१ गुप्तेन्द्रिय के विषय में कच्छप और शृगालोंका द्रष्टांत ७२१-७४९ ५८८- ६०२ ६०२-६०९ ६१०-६३० ६३१-६५९ ६६०-६६४ ६६४-६७० ६७१६७२-६७४ ६७५- ७२०
SR No.020352
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages762
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size24 MB
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