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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - -- - - - - - - - - - - ३९४ ज्ञाताधर्मकथाजसत्र स्स कुमारस्त दाहिणे पासे भदासणंसि निसीयइ। तएणं तस्स मेहस्स कुमारस्त अंबधाई रयहरणं च पाडग्गहं च गहाय सीयं दूरूहइ दुरूहित्ता मेहस्स कुम रस्स वामे पासे भद्दासणास निसीय इ! तएणं तस्स मेहस्स कुमारस्स पिट्रओ एगावरतरुणी सिंगारागारचारुवेसा संगयगयहसियभणियचेट्टियविलाससंलावुल्लावानउणजुत्तोवयारकु. सला आमेलगजमल जुयलट्टिय अब्भुन्नयपीणग्इधसंठितपओहरा हिमरययकुंदेदुपगासं सकोरंटमल्लदामधवलं आयवत्तं गहाय सलीलं ओहारेमाणी२ चिटइ। तएणं तस्स मेहस्स कुमारस्स दुवे वरतरुणीओ सिंगारागारचारुवेसाओ जाव कुसलाओ सीयं दुरुहंति दुरूहित्ता मेहस्त कुमारस्स उभओ पासिं नाणामणिकणगरयणमहरिहतर्वाण जुज्जलबिचित्तदंडाओ चिल्लियाओ सुहुमवरदीहवालाओ संखकुंददगरय-अमयमहियफेणपुंजसन्निगासाओ चामराओ गहोय सलीलं ओहारेमाणीओ२ चिट्ठति । तएणं तस्स मेहकुमारस्स एगावरतरुणी सिंमारा जाव कुसला सीयं जाव दुरुहइ दुरूंहिता मेहस्स कुमारस्स पुराओ पुरथिमेणं चंदप्पभवइरवेरुलियविमलदंडं तालविंटं गहाय चिटुइ । तएणं तस्स मेहस्स कुमारस्स एगा वरतरुणी जाव सुरूवा' तएणं से सेणिय राया' इत्यादि टीकार्थ--(तएणं) इस के बाद (सेणिए राया) ओगिक राजाने ( कोड बिय पुरिसे सदावेइ ) कौटुम्बिक पुरुषों को बुलवाया--(सदावित्ता एवं वयासी) बुलाकर उनसे ऐसा कहा--(खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया) 'तएणं से सेणिए राया' इत्यादि । ट-(तएणं ) त्या२मा (सेणिए राया) श्रेणि २०-ये (कोडुंबिय युरिसे सद्दावेइ) टुमना पुरुषाने मोसाव्या. (सद्दावित्ता एवं क्यासी) मातावाने तेभने ४धु (खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! अणेगावभसयसन्निविहं) For Private and Personal Use Only
SR No.020352
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages762
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size24 MB
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