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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७४ शाताधर्म कथामने मूलम्--तएणं साधारिणी देवी तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि असंपन्नदोहला असंपुन्नदोहला असंमाणियदोहला सुक्का भुक्खा णिम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गा सरीरा पमइलदुब्बला किलंता ओमंथिय वयणनयणकमला पंडुइयमुहा करयलमलियव्व चंपगमाला णित्तेया दीणविवण्णवयणा जहोचियपुप्फगंधमल्लालंकारहारं अणभिलसमाणी कीडारमणकिरियं च परिहावेमाणीदीणा दुम्मणा निराणंदा भूमिगय दिट्टिया ओहयमणसंकप्पा जाव झियायइ । तएणं तीसे धारिणीए देवीए अंगपडियाओ अभितरियाओ दासचेडियाओ धारिणी देवी ओल्लुग्गं जाव झियायणि पासंति पासित्ता एवं वयासी-किण्णं तुमे देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव झियायसि ?, तएणं सा धारिणीदेवी ताहिं अंगपडियारियाहिं अभितरियाहिं दासचेडियाहिं एवं वुत्ता समाणी ताओ दासचेडियाओ नो आढाइ णो परियाणाइ अणाढायमाणी अपरियाणमाणी तुसिणीया संचिटुइ । तएणं ताओ अंगपरियारियाओ अभितरियाओ दासचेडियाओ धारिणी देवी दोच्चंपि तचंपि एवं वयासी-किन्नं तुमे देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव झियायसि ? । तएणं सा धारिणी देवी ताहिं अंगपडियारियाहिं अभितरियाहिं दासचेडियाहिं दोच्चपि तच्चंपि एवं वुत्ता समाणी णो अढाइ णो परियाणाइ अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी तुसिणीया संचिंटूइ । तएणं ताओ अंगपडियारियाओ दास For Private and Personal Use Only
SR No.020352
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages762
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size24 MB
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