SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गणधर भूमिका। सार्द्ध शतकम्। ॥१४॥ प्रत्येक अंग के धुरंधर विद्वान ही न थे पर के साथ ही साथ उत्तम कोटि के अन्य रचयिता भी थे। आप को अपनी असाधारण विद्वत्ता पर परिपूर्ण विश्वास था, अतः नियम कर लिया था कि जो मुझे पराजित करेगा उसी का मैं शिष्यत्व स्वीकृत करुंगा। एक प्राकृत भाषा की गाथा का अर्थ आप को न आने से जैनाचार्य जिनदत्तसूरिजी या श्री जिनमेंटसूरिजी के पास जैन दीक्षा अंगीकार की। आप के अस्तित्व समय में विद्वान् लोगों में मतैक्य नही है, कई इन्हें वि० छठवीं या सातवीं सदी और कई ९ वीं सदी में होने का | मानते हैं, तत्त्वं तु केवली गम्यं । संसार के इतिहास में आप का नाम स्वर्णाक्षरों से लिखा जाना चाहिये । जर्मन विद्वान डॉ. याकोबी आप के अन्थों पर मुग्ध थे। यहां हम एक बात पर विशेष रूप से जोर देकर कहेंगे कि उक्त आचार्यश्री ने अपनी बहूसंख्यक कृतिये २१-२२. हरिभद्रसूरिजी के गुरु कौन थे ! यह भी एक प्रश्न है। कुछ समय पूर्व विद्वजन जिनभटरिजी को गुरू मानते थे, पर अब प्रमाण मिले हैं कि जो जिनदत्तसूरिजी को इनके गुरु मानने को प्रोत्साहित करते हैं। वे प्रमाण इस प्रकार हैं-आचार्य स्वयं लिखते हैं-" समाप्ता चेय ला शिष्यहिता नामावश्यकटीका सिताम्बराचार्य जिनभटनिगदानुसारिणा विद्याधरकुलतिलकाचार्य जिनदत्तशिष्यस्य धर्मतो याकिनी महत्तरा सूनोरल्पमतराचार्य हरिभद्रस्य" यै प्रशस्ति जिनदत्तसूरि गुरु प्रदर्शित करती है । आप ही ने अन्य टीकायें लिखे है ॥ __ आचार्य जिनभटस्य हि सुसाधुजनसेवितस्य शिष्य, जिनवचन भावितमतैर्वृत वतस्तत्प्रसादेन किंचित् पक्षेप संस्कारद्वारेणैव कृता स्फुटा आचार्य हरिभद्रेण टीका प्रज्ञायनाश्रया ॥ इससे जिनभटरि गुरु मालूम होते है । संभव है दीक्षाप्रदायक जिनदत्तसूरि गुरु हों ओर जिनभटसूरि उनके ही आज्ञाकारी हो । निश्चिततया राय | देने के साधन नहीं है। *ॐ%AA ॥१४॥ AE For Private and Personal Use Only
SR No.020335
Book TitleGandhar Sarddhashatakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttsuri
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1944
Total Pages195
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy